गुरुवार, 26 अगस्त 2010

खाऊ बाड़ को बदलने वाला कोई माँ का लाल नहीं

एक भूखा[हिन्दुस्तानी] गरीब
                     ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है?हसाड़े अपने सोणे  मुल्क में हम भूखे गरीबों को नौकरी देने में विफल[रास्ट्रीय] नेता जन   सड़े जा रहे अनाज  तक को देने से इनकार कर रहे हैं और तो और हमारे लिए पी.डी.एस.तक को खाए जा रहे हैं ये नेता जन हमारे लाभ के लिए धन  एकत्रित करते हैं और उसे   अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करते जा रहे हैं अपने  तनख्वाह का ग्राफ बढाने में लगे हैं  हुन हसाड़ा क्या होगा
झल्ला
                   हाँ जी गरीब जी भूखे जी आपजी बिलकुल ठीक कह रहे हो अब तो बाड़ ही खेत खाए जा रही है और इस खाऊ बाड़ को बदलने वाला कोई माँ का लाल सामने नहीं आ   रहा हुन तो जो होता हो हो   ही जाने दो जी 
                           पानी बचाओ +बिजली बचाओ