रविवार, 27 सितंबर 2009

दुर्गाअष्टमी +विजया दशमी की बधाइयां

एक कांग्रेसी
ओये झाल्लेया पी.एम्.के जनम दिन+दुर्गा अस्ठ्मी+विजया दशमी की बधाइयां ओये इन त्योहारों में तो जी भर पूजा करके पुण्य कमाया होगा खूब हलवा पूरी का प्रसाद उडाया होगा
झल्ला बिजली बचाओ +पानी बचाओ
ओ मेरे भोले राजा जी त्योहारों की आप सभी को भी मुबारकां लेकिन इन त्योहारों में भक्तजनों ने अपने घर पूजा करने के लिए मेरी छोटी सी बगिया के सारे फूल तोड़ लिए लगातार ९ दिन तला+गरिष्ट भोजन करना पडा इससे तो अछे खासे पेट की ऐसी की तैसी हो गई अगले त्योहारों के लिए झल्ले की निशुल्क सलाह हे की
[१]भय्या पूजा के लिए अपने घरों में [छोटी सी ही सही ]बगिया लगा कर कम से कम पूजा के लायक फूल पैदा कर लो
[2]फ्लैट में रहने वाले नुक्लीयर परिवार गमला लगाएं
[3]तला +गरिष्ठ भोजन करने से पहले उसे पचाने का भी इन्तेजाम जरूर करलें

रविवार, 20 सितंबर 2009

चीन सीमा पर पारदर्शिता जरूरी

एक कांग्रेसी
ओये झाल्लेया ये कया हो रहा है?हसाडे मुल्क के बार्डरों पर कोई समस्या नहीं है फ़िर भी तुम्हारी बिरादरी [मीडिया]वाले हाय हल्ला मचा रहे हैं ख्वाह्मखाह मचा रहे हैं चीन के बार्डर पर तो ना सूत हे और ना ही कपास और मीडिया वाले लट्ठ को कलम बनाए घूम रहे हैंओये अगर ऐसा ही चलता रहा तो समझो गई भैंस पानी में चीन से पंगा होवे ही होवे
झल्ला पानी बचाओ+बिजली बचाओ
ओ मेरे भोले शाह जी बिना आग के धूना नही उठता मीडिया वालों की लम्बी लम्बी नाक पर मोटे मोटे ग्लास वाले चश्मे नहीं दूरबीने होती हैंपकिस्तान +बंगलादेश+श्रीलंका के अलावा चीन की सीमाओं पर होने वाले छोटी सी हलचल को अगर छुपाने की कौशिश भी करोगे तो उसकी परछाई की विशालता तुम्हे ख़ुद को ही डरायेगी झाल्लेविचारानुसार किलसने के बजाये सीमा के मामले में पारदर्शीता अपना कर त्वरित उचित कार्यवाही करना ही दानिशमंदी होगी

शनिवार, 5 सितंबर 2009

शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्से

एक कांग्रेसी
ओये झाल्लेया देखा हसाडे कपिल सिबल ने शिक्षक दिवस वाईस प्रेजिडेंट साहेब के हाथों देश के ३५१ शिक्षकों को सम्मानित करवा कर मौजूदा शिक्षा जगत के साथ साथ सर्वपल्ली को भी सलूट किया है केवल जबानी सेवा नहीं झ्ल्लेया २५००० नगद और रजत पदक भी दिए गए हुन सामाजिक+आर्थिक विकास +समाज में परिवर्तन के लिए आगे आने के लिए शिक्षकों को प्रेरणा मिले ही मिले
झल्ला बिजली बचाओ+पानी बचाओ यहाँ तक तो ठीक है मगर भोले [मगर ]आप की ठीक नाक तले यूं.पी.और एम्.पी.में इसी दिन शिक्षकों को लाठियाया गया इसके अलावा ये कहना भी अनुचित नहीं होगा , झाल्लेविचारानुसार तर्क संगत ही होगा की[१]आज़ादी के ६२ साल बाद भी शिक्षकों को अपनी तनख्वाह तक लेने के लिए रिश्वत [सुविधा शुल्क]देनी पड़ती है [२]मिड डे मील तक बनाना पड़ता है[३]चुनावों में और वोटर लिस्ट के लिए [डर डर ]भटकना पड़ता है [४] पोलियो अभियान की रीड बनने के अलावा पालितिसनिओं[राजनितिक ] को सहना पड़ता है [६]और शिक्षा देने के लिए छात्रों को इकट्ठा करने के लिए अपनी जेब तक ढीली करने को मजबूर है बेशक इस व्यवसाय में भी एकलव्य और अर्जुन को अलग अलग चश्मे से देखने वाले शिक्षक हैं
इसीलिए हामिद साहेब [वी.पी.]के अनुसार संख्या के बजाये गुणवत्ता को तरजीह देनी होगी झाल्लेविचारानुसार इसके लिए शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स की व्यवस्था करके शरुआत की जा सकती है