सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

जननी +बेस्ट हाफ +अर्धांगिनी या आधी आबादी अपने जायज़ हक़ के लिए सत्ता के मौजूदा ठेकेदारों के रहमो करम पर ही टिकी हैं


सत्ता  में महिलाओं  को भागेदारी  देने के लिए गला फाड़ कर नारे लगाने वाले आज महिलाओं को टिकट देने से कतरा रहे हैं ।जननी +बेस्ट हाफ +अर्धांगिनी  या आधी आबादी कहे जाने के बावजूद भी आज  सत्ता में अपने जायज़ हक़ के लिए सत्ता के मौजूदा ठेकेदारों के रहमो करम  पर ही टिकी हैं।हाँ ये दीगर बात है की करोड़ पतियों की ११०३ की फौज में  १०%दागी प्रतियाशिओं पर भरोसा जताया गया है।
     उत्तर प्रदेश की विधान सभा के लिए कल[आज]६ठा चरण पूर्ण होगा इसमें ६८ सीटों के लिए २११८६४८९ [इनमे से ९३९२०९५ महिला] मतदाता ११०३ प्रतियशिओ में से अपने  प्रतिनिधि  चुनेंगें ।
    मुख्य ५ दलों ने   महज़ १० महिलाओं परही भरोसा जताया है।
    बसपा की मुख्य मंत्री एक शक्त महिला हैं और भाजपा की कमान उमा भारती जैसी फायर ब्रांड नेता होने के बावजूद इन्होने केवल  ६८ में से तीन  तीन टिकट ही महिलाओं को दिए  हैं। कांग्रेस  की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी एक महिला  सशक्ति करण की पक्षधर रही  है  बेशक यह एतिहासिक पार्टी केवल ३२ सीटों तक ही सीमित है मगर इनके बेड़े में एक भी महिला नहीं है  सपा  और रालोद ने आश्चर्यनजक रूप से क्रमश तीन और एक सीट पर महिलाओं को उतारा है।अपने लिए जमीन तलाशती जेडीयू और पीस पार्टी  ने क्रमश एक और तीन सीटों पर महिलाये उतारी हैं।
 इसके अलावा मेरठ की  सात सीटों के लिए  साड़े इक्कीस लाख मतदाता अपनी पसंद को  ई.वी,एम्. में बंद करेंगे।
    इनमे से  लगभग साड़े नौ लाख महिलायें भी अपनी पसंद का इज़हार करेंगी।
 इस अवसर पर अपना भाग्य आज़मा रहे ११८  प्रतियाशिओं में से केवल सात महिलायें ही चुनावी मैदान में हैं।
    इस छेत्र में चार मुख्य राजनितिक दल हैं इन्होने एक भी महिला को टिकट नहीं दिया है।
    सिवाल ख़ास में दो सरधना में तीन हस्तिनापुर  और कैंट में  केवल एक एक महिला ही  पुरुषों के इस मैदान में अपना भाग्य आजमा रही हैं।ये सभी निर्दलीय हैं और केवल चुनाव ही लड़ रही हैं।और यह किसी भी दशा में उचित प्रतिनिधित्व नहीं कहा जा सकता।
   अपराध और भ्रस्ताचार के विरुद्ध लगातार ताल ठोंकने वाले दलों नेकरोड़पतियों पर ही दावं लगाया है और तो और   लगभग १०%दागी प्रत्याशी मैदान में उतारने से गुरेज़ नहीं कियाहै ।
बसपा ने ६८ में से  २०  सपा ने ३१ भाजपा ने ३० कांग्रेस के ३५ में से १६ और जे.डी यूं.के ३४ में से १० किसी भी सूरत में गले के नीचे नहीं उतर रहे

बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

३००० रुपयों की जमानत देकर जो प्रसिद्धी मिली है उससे उनकी फिल्म एजेंट विनोद को फ़ायदा होगा\

 सरकारी पद्मश्री और  फ़िल्मी हीरो के मुक्के में से किससे ज्यादा प्रसिद्धी मिलती है यह प्रश्न आज कल अधिकाँश जबानों  और टी वी चेनलों पर  चिपका हुआ है । इस यक्ष प्रश्न के पीछे फ़िल्मी हीरो सैफ अली खान पटौदी है ।
           मंसूर  अली खान पटौदी की मौत के बाद नवाबी ताज धारण किये सैफ २१-०२-२०१२ को मुंबई के ताज में अपने दोस्तों के साथ  दावत में मशगूल थे \उनके साथ नाईकाओं का ताज धारण किये करीना और उनकी बहन करिश्मा के अलावा आइटम डांस के ताज से सुशोभित मलाइका अरोरा खान  आदि आदि भी थे।
            अब इतने सारे ताजों से नवाजे गए सैफ अली खान को अपनी होम प्रोडक्शन एजेंट विनोद के ताज की भी टेंशन रही होगी शायद इसीलिए रेस्टुरेंट में एक एन आर आई और उसके ससुर के साथ हाथा पाई करके नया मुकदमा खड़ा कर दिया\बेशक उन्हें  थाणे से ही जमानत मिल गई है मगर फिर  मार खाए  एन आर आई किसी समझौते के मूड में नहीं दिख रहे।सैफ अली खान के साथ उनकी विशेष गर्ल फ्रेंड करीना और शायद होने वाली साली साहिबा करीना भी थी तो दूसरी और एन आर आई इकबाल शर्मा के साथ उनके ससुर वरिष्ट नागरिक भी थे।सैफ और शर्मा दोनों ही अपनी  ससुराल वालों के सामने नीचा नहीं होना चाहते होंगे सो लड़ाई अभी बाकी है\
   देखा जाए तो सैफ अलीखान को जब पद्मश्री मिली थी तब के मुकाबले अब  इस मुक्के के प्रकरण से ज्यादा प्रसिद्धी मिल रही है बेशक एक पद्मश्री को सार्वजनिक स्थल पर वरिस्थ नागरिकों से मुक्के बाज़ी से बाज़ आना चाहिए था मगर उन्होंने  पद्मश्री के लिए उनके चयन प्रक्रिया पर ही प्रश्न  चिन्ह लगा दिया।इस प्रश्न चिन्ह से क्या होगा क्योंकि अब पद्मश्री तो छिनी नहीं जायेगी हाँ मुक्के बाज़ी से उन्हें  मात्र ३००० रुपयों की जमानत देकर जो लाखों रुपयों की  प्रसिद्धी मिली है उससे उनकी फिल्म एजेंट विनोद को फ़ायदा ही फ़ायदा होगा\में ठीक हूँ या क्या में ठीक हूँ ??????????????????????????????????

चुनावों में ऐसी खबरों से चुनावी नुकसान कम से कम हो



चुनावों में ऐसी खबरों से चुनावी नुकसान कम से कम हो

आज अखबारों में एक खबर छपी है कि
 दिल्ली पोलिस की  अपराध शाखा ने पाकिस्तान के जासूस कामरान अकबर को दिल्ली के रेलवे स्टेशन से रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया |
इस खबर से यह तो साबित हो गया कि दिल्ली पोलिस दिली मुबारक बाद की लगातार +जोरदार= हकदार है मगर फिर ख्याल आता है की यूं.पी. में चुनाव चल रहे हैं ऐसे में मध्यप्रदेश से तड़ीपार होकर आये और यूं.पी. में बने बैठे कांग्रेसी अवतार जनाब दिगविजय सिंह की राय का इंतज़ार कर लिया जाता|क्या पता उन्हें इस विषय में कोई नई जानकारी हो जिसके उगले से यूं.पी. चुनावी फ़ायदा पार्टी को मिल सकता चुनावों में वोट बैंक का ख्याल तो रखना ही पड़ता है।यह भी देखना पड़ता है कि चुनावों में   ऐसी  खबरों  से   चुनावी नुकसान कम से कम हो

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

भ्रस्ताचार मिटा देंगे+बिजली देंगे+रोज़गार देंगे +आरक्षण देंगे +बैंको के कर्जे माफ़ कर देंगे+मंदिर बनायेंगे++++++

भारतीय राजनीति में मौजूदा  एक्सपर्ट्स की  राजीनीतिक कलाबाजियां देख कर आज सुबह से ही  रह रह कर फ़िल्मी गीत याद आ रहे हैं [१]मन्ना डे का गाया और प्राण पर फिल्माया गया यह गीत तो पीछा ही नहीं छोड़ रहा।
  कसमे वादे 'प्यार वफा सब वादे हैं वादों क्या कोई किसी का नहीं ये झूठे नाते हैं नातों का क्या?[२]किशोर कुमार की आवाज़ और राजेश खन्ना की छवि वाले इस गीत के बोल तो  लगभग सभी पर फिट बैठते दिखाई दे रहे हैं।
  वादा तेरा वादा वादे पे तेरे मारा गया बंदा में सीधा साधा [३] अमिताभ की यह शिकायत की जुम्मा चुम्मा दे दे चुम्मा पिछले जुम्मे का वादा था 
   इनगीतो के अलावा भी अनेकों शिकायती वादे गीत होंगे इस से में इंकार नहीं कर सकता क्योंकि में इस मामले में स्वयम को एन्साईक्लोपिदिया नहीं मानता।अब आप आँखें तरेर कर यह जरूर पूछना चाहोगे की इन पुराने गीतों का आज की नई नवेली राजनीति से क्या वास्ता क्या मेल क्या विरोध क्या वैर ।लेकिन अगर आप ध्यान लगा कर [बाबा रामदेव वाला ध्यान नहीं]  राजनितिक अंतर मन से देखे तो ज्ञान चक्षु खोले बिना ही देख लेंगे की आज सभी छौटे बड़े + मंझे हुए या नौसिखिया +खोटे खरे+ बूड़े जवान +नए पुराने सभी खांटी खुर्राट नेताओं की मानिंद छाती या सीना ठोक कर तख्त ताज बदलने को रोजाना वादों की झाड़ी खड़े करते जा रहे हैं ।इन झाड़ियों में से वोटों के फल मिले या नहीं मगर विपक्षी तो अपनी धोती बचाता फिरता रहता है।और इस कवायद में दूसरे की राह में एक उससे भी बड़ा वादा डाल देता है।जसके फलस्वरूप चाहूं और फलों के बागीचे तो दूर रहे वायदों की कष्टकारीझाड़ियाँ ही नज़र आ रही  है।इन में से कुछ वायदे निम्न हैं
   भ्रस्ताचार मिटा देंगे+बिजली देंगे+रोज़गार देंगे +आरक्षण देंगे +बैंको के कर्जे माफ़ कर देंगे+मंदिर बनायेंगे++++++अब भैया जी भ्रष्ट मंत्रियों के रहते भ्रस्ताचार कैसे मिटेगा+बिजली उत्पादन  केंद्र है नहीं तो बिज़ली कहाँ से दोगे+सरकारी दफ्तर बंद करते जा रहे हो विदेशी कम्पनियों पर रोक लगा रहे हो तो नौकरिया कहाँ से दे दोगे+संविधान बदलने की क्षमता नहीं है धर्म आधारित  आरक्षण कैसे दे दोगे+विश्व बैंक को नाराज़ करके कर्जे कैसे माफ़ करदोगे और भय्या जी अपनी पांच साल की सरकार में मंदिर की बात नहीं कर पाए अब कैसे मंदिर बना पाओगे।
    क्या कहा जादू की  छड़ी लाओगे अबे कहाँ से लाओगे ?
  
     
  

शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

वाक् व्यूह में सभी मुद्दों पर पर्दा पड़ गया है और शायद नेताओं के दिलो दिमाग पर भी

वाक् व्यूह में सभी मुद्दों पर पर्दा पड़ गया है और शायद नेताओं के दिलो दिमाग पर भी 

सत्तारुड महारथियों ने वाक् व्यूह की रचना करके मुद्दों को अभिमन्यू बना डाला है|सलमान खुर्शीद+राशिद अल्वी+द्ग्विजय सिंह+कपिल सिबल=मुलायम सिंह यादव+मायावती+अजित सिंह+आदि आदि  के बाद अब बेनी प्रसाद ने भी कमान संभाल ली है|मीडिया+विपक्ष+जनता सभी इस व्यूह रचना को भेदना तो दूर समझ ही नही पा रहे हैं में ठीक हूँ या क्या में ठीक हूँ????? 
     देश में अनेकों ज्वलंत मुद्दे हैं।चुनावों से पहले प्रत्येक पार्टी  भ्रष्टाचार+विकास+विदेशों में काला धन+अपराध+चुनाव सुधार+आरक्षण +धर्म+जातिवाद आदि आदि मुद्दों पर अपनी प्रतिब्ध्त्ता  का सीना ठोक कर प्रदर्शन करती रही है। बाबा रामदेव +अन्ना हजारे+श्री श्री आदि ने आन्दोलन भी चला रखे हैं मगर दुर्भाग्यवश चुनावों में सभी प्रतिबधताओं को ताक पर रख कर केवल आरोप प्रत्यारोप वाणी वाण  चलाये जा रहे हैं।
    स्वयम को साफ़ सुथरा और दूसरे को दागी  साबित करने को  मीलों नीचे दबे मुदद्दों को उछाला जा रहा है।इस सब के पीछे देश  और समाज के हित के सभी  मुद्दों पर पर्दा पड़ गया है और शायद नेताओं के दिलो दिमाग पर भी  में 

वाक् व्यूह में सभी मुद्दों पर पर्दा पड़ गया है और शायद नेताओं के दिलो दिमाग पर भी

सत्तारुड महारथियों ने वाक् व्यूह की रचना करके मुद्दों को अभिमन्यू बना डाला है|सलमान खुर्शीद+राशिद अल्वी+द्ग्विजय सिंह+कपिल सिबल=मुलायम सिंह यादव+मायावती+अजित सिंह+आदि आदि  के बाद अब बेनी प्रसाद ने भी कमान संभाल ली है|मीडिया+विपक्ष+जनता सभी इस व्यूह रचना को भेदना तो दूर समझ ही नही पा रहे हैं में ठीक हूँ या क्या में ठीक हूँ?????
     देश में अनेकों ज्वलंत मुद्दे हैं।चुनावों से पहले प्रत्येक पार्टी  भ्रष्टाचार+विकास+विदेशों में काला धन+अपराध+चुनाव सुधार+आरक्षण +धर्म+जातिवाद आदि आदि मुद्दों पर अपनी प्रतिब्ध्त्ता  का सीना ठोक कर प्रदर्शन करती रही है। बाबा रामदेव +अन्ना हजारे+श्री श्री आदि ने आन्दोलन भी चला रखे हैं मगर दुर्भाग्यवश चुनावों में सभी प्रतिबधताओं को ताक पर रख कर केवल आरोप प्रत्यारोप वाणी वाण  चलाये जा रहे हैं।
    स्वयम को साफ़ सुथरा और दूसरे को दागी  साबित करने को  मीलों नीचे दबे मुदद्दों को उछाला जा रहा है।इस सब के पीछे देश  और समाज के हित के सभी  मुद्दों पर पर्दा पड़ गया है और शायद नेताओं के दिलो दिमाग पर भी  में 

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012


Tuesday, February 7, 2012

वेलंतायनी मौसम चालू आहे सो हैप्पी वेलंतायन टू आल Happy Valentine Season

वेलंतायनी मौसम चालू आहे सो हैप्पी वेलंतायन टू  आल Happy Valentine Season 
मौसम में मस्ती हैं +मज़ा है +मिन्नत है+मन्नत है+मंज़र हैं+मंजूरी है ।चुनावी आशिकों का  हर मौड़ पर मजमा है| मौसमी नेता मजनूओं की तरह अपने लिए वोटर को लुभाने में लगे हैं|अर्जुन की तरह वोटर की आँख पर निशाना साध रहे हैं।
  ऐसी निशाने बाज़ी  की मौसमी मौज के बाद तो  वोटर के साथ साथ उसके परिवार को भी  बेमौज़ मरना ही है|आज कल हर तरफ चुनावी बयार है सो चुनावी आशिकों की बहार है| लड़कियों के स्कूल कालेजों के बाहर शोहदे हाथों में अपना दिल लिए खड़े दिखाई देने लगे हैं|इनके हीरो संजय दत्त ने भी अपना वेलंटाइन कांग्रेस में तलाश लिया है 
   यहाँ तक की  रॉबर्ट वढेरा भी अपनी पत्नी प्रियंका के प्रेम में प्रियंका के भाई के लिए  राजनितिक  समर्थन जुटाने  में कुछ भी बोलने लगे  हैं | पाकिस्तानी गिलानी  सार्वजनिक रूप से भारत से पींगे बढाने की बात करने लग गए हैं| भारत से काश्मीर के लिए युद्ध को अनावश्यक अनुपयोगी बताने लगे हैं\  शायद  मौसम का ही यह असर होगा की संयुक्त रास्त्र की सुरक्षा परिषद् में सीरिया के रास्त्रपति बशर अल असद को वीटो का उपहार देकर चीन और रूस ने अपना प्यार प्रगट कर ही दिया|अब शायद बशर अल असद को बगावत का सामना[ कुछ समय के लिए ही सही ] नहीं  करना पडेगा।
   जिस प्रकार संजय दत्त ने मुलायम सिंह यादव की एस.पी को छोड़ दिया वैसे ही  अपने वेलंटाइन को  भी तलाक दिया जा सकता है।मगर चुनावों में   गलत नेता को वेलंटाइन बनाने के बाद उसे तलाक अर्थार्त राईट टू रिकाल की कोई गुजाइश नहीं है इसीलिए भाई बांधुओइस सबसे हमें क्या अभी तो हमें अपना सही+ उचित+ सच्चा वेलंताईं Valentine ढूँढना है सो ..............

शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

लाल क्वाटरों में पुनार्स्थापितों को बुढापे में अपने घरों से बेदखल करने को षड्यंत्र रचे जा रहे हैं।


लाल क्वाटरों में पुनार्स्थापितों को बुढापे में अपने घरों से बेदखल करने को षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। 

मेरठ की छावनी परिषद् में  भ्रस्ताचार के ज्वलंत मुद्दों से आम  जन का ध्यान हटाने को  बासी कड़ी में उबाल लाने की पुराणी रिवायत है जिसका पालन आजकल भी हो रहा है|अतिक्रमण और  अनाधिक्रत मोबाईल टावर काण्ड में गले गले तक फंसे अधिकारी +कर्मचारी +और टावर काण्ड में चिन्हित पार्षद एक जुट हो गए हैं और अपने बचाव के लिए शिवाजी कालोनी उर्फ़ लाल क्वाटरों को  खूब उछाल रहे हैं|इस कार्य में इन्हें स्थानीय मीडिया के एक हिस्से का सहयोग भी भरपूर मिल रहा है|
     आज़ादी के बाद विस्थापितों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार ने  तत्कालीन  बोर्ड को मेरठ+आगरा+जालंधर+पुणे आदि में पुनर्वास कालोनियां बनाने का दायित्व सौंपा|यह ना लाभ ना हानि के आधार पर वितरित किये जाने थे|एक निश्चित अवधि तक केयर टेकर की  भूमिका निभा कर  कैंट   बोर्ड द्वारा इन लो इनकम हाऊसिंग स्कीम को लाभार्थिओं को सौंपा जाना था |कुछ समय पश्चात जब ये पिछड़ी +उपेक्षित कालोनी विकसित हो गई तो सबकी निगाह में यह सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन गई।नतीजतन  तत्कालीन पार्षद+अधिकारियों ने एक अनुचित रिसोलुशन पास करा कर कैंट बोर्ड के कर्मियों को ही विस्थापित घोषित कर दिया और एक पूरी कालोनी कैंट बोर्ड के कर्मियों को सौंप दी गई।
    उल्लेखनीय है कि कैंट कर्मियों को  सरकारी सेवक होने के नाते सरकारी आवास तो दे दिए गए मगर उन्हें सरकारी किराया भत्ता भी दिया जाता रहा है।जबकि सरकारी आदेशानुसार सरकारी आवास दिए जाने पर  मकान किराया भत्ता नहीं दिया जाता।
     समय समय पर लीगल रेसिडेंट्स को  अनाधिक्रत +अतिक्र्मंकारी घोषित करके मकान खाली करने को प्रताड़ित किया जाता रहा।कुछ मकान कब्जाए भी जा चुके हैं और कैंट बोर्ड कर्मियों को दिए जा चुके हैं ।इसके अलावा ३० से अधिक मकान खाली करा कर अनाधिक्रत कब्जेदारों को दे दिए गए हैं।इस परोपकार के लिए ५००० से लेकर ७५००० रुपये तक बोर्ड के खाते में  भी जमा करवाए गए । टेबल के नीचे कया हुआ होगा समझा जा सकता है।
     एक  और रिसोलुशन पास करा कर १९८२ में कालोनी के रखरखाव को कैंट बोर्ड ने हाथ पीछे खीच लिए मगर  मासिक किश्त को किराए का रूप देकर लगातार किराए बढाने को नोटिस जारी होते रहे।
     कैंट बोर्ड के इस तानाशाही कदम के विरोध में पुणे +जालंधर+आगरा के तर्ज़ पर मेरठ के लोग भी अदालत गए ।हाई कोर्ट में किराए में वृधि के अपने निर्णय को सही ठहराने को गलत शपथ पत्र दाखिल किया गया जिसमे मेरठ के कैंट बोर्ड ने दावा किया कि कालोनी के रखरखाव के लिए खर्चा बढ जाने से किराया बढाया जाना जरूरी है।इस दलील को माननीय काटजू[तत्कालीन जज ] ने कालोनी वासियों की अपील खारिज कर दी गौर तलब हे की इन्ही माननीय काटजू जी ने जालंधर की कालोनी वासिओं को राहत देते हुए कैंट बोर्ड के सभी दावों को खारिज कर दिया था आज कल यही काटजू जी प्रेस परिषद् के अध्यक्ष हैं शायद उन्हें अभी भी इस केस के विषय में कुछ याद रहा होगा।
     अब फिर से इस मुद्दे को उछाल कर   दशकों पूर्व पुनार्स्थापितों को बुढापे में मानसिक उत्पीडित करके  अपने घरों से बेदखल करने को षड्यंत्र रचे जा रहे हैं।