शनिवार, 30 जून 2012

कलाम को दुबारा राष्ट्रपति नहीं बनने देने और प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति बनाने में कोई तो परदे दारी है

                                                                            झल्ले दी गल्लां
 एक कांग्रेसी 
                  ओये झल्लेया  देखा हसाडी  श्रीमति  सोनिया गांधी का कमाल । 2004 में  सारे   संवैधानिक  अधिकार होते हुए भी  प्रधान मंत्री के पद का त्याग करके पेश कर दी एक अनूठी मिसाल।डाक्टर मन मोहन सिंह को  सत्ता सौंप कर नहीं  दिखाया  कोई मलाल।  तत्कालीन राष्ट्रपति  ऐ पी जे अब्दुल कलाम ने भी अब अपनी किताब में  इसकी पुष्ठी करके कर दिया धमाल  ।
   सोणे  ते मन मोहने पी एम्  चलेंगे सालों साल ।ओये अब सोनिया जी को विदेशी बताने वालों का कौन होगा हवाल । हुन  ते  सोनिया जी को दिल से  मदर इंडिया कह ही  डाल ।
झल्ला 
                    ओ सरकारे आली जी बेशक आपके लिए आज भांगड़ा डालने का दिन है ।झप्पी शप्पी  पाओ और खुशियाँ मनाओ।सुपर प्राईम मिनिस्टर से अब सोनिया जी मदर इंडिया बना दी गई है लेकिन  एक बात बताओ अगर ऐ पी जे अब्दुल कलाम  ने आप जी की सोनिया जी को प्रधान मंत्री बनने से नहीं रोका तो अब आप लोगों ने उन्हें दुबारा राष्ट्रपति  बनने  से क्यों  खवाह्मखः रोक दिया?बेशक  राष्ट्रपति के लिए प्रणव मुखर्जी काबिल होंगे और उन्होंने प्रधान मंत्री की रेस से इस तरह बाहर किये जाने पर कोई अफ़सोस भी जाहिर नहीं  किया है लेकिन झल्ली गल ये है की कलाम को दुबारा राष्ट्रपति  नहीं बनने  देने और प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति बनाने में कोई तो परदेदारी  है  राजदारी है ।

शुक्रवार, 29 जून 2012

पी एम् को गीदड़सिंगी  मिल गई है क्या ?
     झल्ले दी गलां 
                                  एक कांग्रेसी
                                                   ओये झल्लेया  मुबारकां ओये हसाड़े  सोणे  ते मन मोहने पी एम् ने वित्
                                                   मंत्रालय   संभाल  लिया है इसका स्वागत शेयर बाज़ार ने भी कर दिया
                                                  हैइलेक्ट्रोनिक्स  चेनल्स के नीचे चलने वाली पट्टी में सारे बाज़ार के रेट्स 
                                                     ख़ुशी के हरे रंग में ऊपर की तरफ दिखाई दिए  
                                                   बाज़ार  के सूचकांक  ने 2% अधिक  बडत लेकर इसका समर्थन कर दिया है
                                                   मार्गन स्टेनली ने भी हमारी रेटिंग को  अंडर वेट  से निकाल कर इक्कवल
                                                   वेट कर दिया है ।ओये अब आर्थिक गिरावट के दिन गए अब चिंतित होने
                                                   की जरुरत नहीं है अब तो विकास को पंख लगे ही लगे। 
                                  झल्ला       
                                                   खैर मुबारक जी सुनने में तो वाकई अच्छा लग रहा है बीतें वर्षों में  देश की 
                                                    इकोनोमिक्स को भम्भड़ भूसे में  डाले  रखने  वाली घरेड तो निकल ही गई   
                                                    है अब कुछ अच्छे की उम्मीद की जा  सकती  है  लेकिन  एक बात  बताओ
                                                        की लगातार गिरावट के बाद अब एक दम से सुधारों  का दावा कर रहे हो  लगता है की  पी एम्  को कोई  गीदड  सिंगी मिल गई है ?अगर ऐसा हे तो अब देश में 
                                                     सुधारों का लाभ  निचले स्तर पर भी  मिलने लगेगा ?और इस मार्गन 
                                                    स्टेनली को छोड़ो  क्योंकि इसने बीती सदी   में शेयर निकाले थे उनका 
                                                    अभी तक राम ही मालिक है ।इसीलिए जब तक सुधारों का या विकास 
                                                    का लाभ निचले स्तर तक  नहीं  पहुंचता तब तक  2014 के   इलेक्शन 
                                                    दूर ही समझो   
                                                            
 आदरणीयों  के चुनावों में सब कुछ  ठीक  है                                                                                              झल्ले दी गलां
एक सामान्य नागरिक    
                                 ओये  झल्लेया ये क्या हो रहा है ?हैं छोटे  से छोटे  चुना में भी सख्त  आचार संहिता होती      है मगर   राष्ट्रपति के चुनावों में कोई  आचार संहिता नहीं है जिसके मन जो आ रहा है जैसा आ रहा है कर रहा है ऐसा कैसा चलेगा 
झल्ला 
                                ओ भोले बादशाहों आपने सुना  नहीं  है कि समरथ को नहीं दोष गुसाईं तभी तो माननीयों को  28 राज्यों+2 युनियन  टेरिटोरी + संसद  में से कहीं भी वोट डालने का अधिकार मिल गया है ।जहां चाहे जैसे चाहे प्रचार कर सकते हैं ।सरकारी  सुविधाओं  के दुरूपयोग होने पर किसी की भी नज़र  नहीं  रहेगी दल बदल  पार्टी  बदल+संघ बदल पर कोई रोक नहीं होगी  यानि   आदरणीयों  के चुनावों में सब कुछ  ठीक  है 

मंगलवार, 26 जून 2012

काश्मीर में अनावश्यक इमरजेंसी से पीक सीज़न में बिजनेस पर प्रहार

 [1]भारत में कहीं  स्वर्ग है तो काश्मीर है काश्मीर है कश्मीर है 

[2] हड़ताल के बाद  सूनसान  डल  लेक  

[3]पीक  सीज़न में बिजनेस पर प्रहार 

[4] एअरपोर्ट पर  काश्मीर छोड़ने  वालों की   लम्बी  होती कतारें 

[5] एअरपोर्ट के अन्दर सामन क्लीयर  कराने वालों   में मारा मारी 
बीती सदी के सातवें दशक में सोने  की चिड़िया नामक   देश ने  इमरजेंसी का दंश झेला था मगर आज  भारत के स्वर्ग  काश्मीर  पर   भी  पुनः अनावश्यक बंद थोप कर लोक तंत्र में  अलोकतांत्रिक   पद्धति की काली किताब में एक और काला अध्याय लिख दिया गया है फर्क सिर्फ इतना है की पहले  शासक ने  खुद के सर्वाइवल  के लिए  इमरजेंसी  का सहारा लिया था तो अब शासित ने अलगाव वादी ताकतों को मज़बूत  करने  के लिए कश्मीर के पीक  सीज़न में बंद का एलान कर दिया|
   बीते दिन श्रीनगर  के  डाउन टाउन इलाके में स्थित एतिहासिक  लकड़ी की इमारत  जियारत शरीफ  में सुबह की नमाज़ के बाद आग लग गई |अभी इसके कारणों को जांच चल रही है कि अलगाव वादी ताकतों ने सी आर पी ऍफ़ को निशाने पर रख लिया |विरोध हुआ पथराव हुआ इसके जवाब में लाठी और आंसू गैस चली |
  सी आर पी ऍफ़  के विरोध और पीड़ितों के समर्थन में तत्काल बाज़ार बंद करा दिए गए और आज पूरे काश्मीर बंद का एलान कर दिया गया | एयर पोर्ट के हालत देख कर  लगा की आज पूरा काश्मीर खाली हो जाएगा|
आज सुबह डाउन टाउन के ग्रामीण युवा सड़कों पर आ गए | सूत्रों की माने तो जिस प्रकार मनरेगा के अंतर्गत युवाओं को गावों में ही रोज़गार देने की यौजना चलाई जा रही  है ठीक उसी तर्ज़ पर अलगाव वादी   वहां के ग्रामीणों को पत्थर चलाने और विरोध करने के  लिए 500/= दिए जा रहे है  
     आज की इस  घटना के  पीछे दो कारण बताये जा रहे हैं [१]अबू हमजा की गिरफ्तारी [२] बर्फानी बाबा अमर नाथ यात्रा इस दोनों कारणों से अपनी उपस्थिति और मजबूती का प्रदर्शन जरूरी था   काश्मीर में अनावश्यक इमरजेंसी

बुधवार, 20 जून 2012

वरिष्ठ लाल कृषण आडवानी को छोड़ कर कनिष्क नरेन्द्र मोदी को पी एम् इन वेटिंग बना दिया

                                                                                                                                            झल्ले दी गल्लां 
एक भाजपाई 
                    ओये झल्लेया ये  जे  डी यूं  वालों की मति फिर गई है क्या ??आये दिन कोई न कोई उलटा सीधा ब्यान देकर एन डी ऐ की एकता पर  प्रशन चिन्ह लगा रहे हैं \
पहले तो सांसद शिवानन्द तिवारी  ही  सत्ता रूड़  यूं पी ऐ के सुर में सुर मिला कर  राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेसी प्रणव मुखर्जी के समर्थन  में  [यहाँ तक की] ऐ पी जे कलाम तक को सपोर्ट 
नहीं करने को जोर डाल रहे थे अब उनके मुख्यमंत्री नितीश कुमार भी खुल कर नरेन्द्र  मोदी के खिलाफ ताल ठोक कर मैदान में आ गए हैं| 
२००२ में गुजरात के दंगों के समय  हमारे साथी रहे  फिर २००९ में भी  घटक रहे अब जा कर उन्हें धरमनिरपेक्षता की  याद  आ रही है सफलतम  मुख्यमंत्री  नरेन्द्र मोदी  भी उन्हें साम्प्रदाईक नज़र आने लगा है|
     हमारे आर आर एस प्रमुख मोहन भागवत ने तो यहाँ तक कह दिया है कि  हिंदुत्व वादी क्यूं नहीं बन सकता भारत का पी एम् 
   हमारे  नेता बलबीर पुंज ने भी कह दिया है की   हमें किसी से धर्म  निरपेक्षता का सर्टिफिकेट  नहीं लेना है 
झल्ला
क्या में अभी भी पी एम् इन वेटिंग हूँ ??
             ओ मेरे भोले बादशाहों दरअसल ये तो सियासी  खेल है|अब आप लोगों ने वरिष्ठ लाल कृषण आडवानी को छोड़ कर कनिष्क  नरेन्द्र मोदी को पी एम् इन वेटिंग बना दिया 
क्या सोचा था की एन डी के के घटक दल खुश होंगे शाबाशी देंगे क्यूं??पड़ गई ना घरेड???जे डी यूं वाले तो बरसों से एन डी ऐ  से पीछा छुड़ाना चाह रहे थे  अब मौका मिल गया है 
अब अलग होने से फ़ायदा ही फ़ायदा हैलेकिन चारा फेमस  लालू ब्रिगेड और  मंडल कमीशन  फेम राम विलास पासवान  ने भी अब नितीश कुमार को अवसरवादी+धोखे बाज़ कह कर  घेरना शुरू कर दिया है ।लेकिन इस सब के बावजूद नितीश & कम्पनी को तो अपना हित ही साधना है 
[१]पी एम् के लिए  मोदी को पछाड़ कर  अपनी   उम्मीदवारी  जग  जाहिर की जा सकेगी| 
[२]बिहार जैसे पिछड़े राज्य के लिए कांग्रेसी  केंद्र सरकार  पर डोरे डाले जा सकेंगे|
[3]बिहार में लालू प्रसाद के खिलाफ मुस्लिम वोटों को एक जुट किया जा सकेगा \

मंगलवार, 19 जून 2012

सोणा मनमोहना पी एम् बेशक घर में मूंगफली खाता हो बाहर तो डकार बादाम के ही लेगा

                                                                                     झल्ले दी गल्ला
एक विपक्षी
                ओये झल्लेया  ये क्या हो रहा है ओये इस  सरकार  की मति मारी गई है क्या??
                 एक तरफ ये विकसित देश स्टेंडर्ड  & पूअर्स  और फिच   नामक अपनी जेबी
                संस्थाओं  के माध्यम  से हमारे सोणे  मुल्क  की सोणी साख   को गिराने  में लगे  हैं
               [1] एक हमारी साख को बी बी बी बता कर हसाड़ा  मखौल उड़ाता है तो दूसरा
                [2] रेटिंग को गिरा कर  खुशहाल अर्थव्यवस्था के प्रति अविश्वास पैदा कर रहा है और
                इसके बदले  हसाड़े  पी एम्  डाक्टर मन मोहन सिंह ने वहां के डूबते देशों को 
               बेल आउट पैकेज अब यूरो संकट से हमारा रुपय्या नीचे जा रहा है संकट हमारे सर पर भी है में 55000 करोड़  रुपयों के  10  अरब  डालर  देने का आश्वासन
               दे दिया है । ओये इतने में तो  हसाड़े  मुल्क में 10  साल तक टेक्स  होलीडे  मिल जाता 
              ओये ये तो वोही बात हो गई की घर में नहीं दाने अम्मा माफ़ करना
               पी एम् चले भुनाने 
झल्ला 
             ओ बाऊ जी आप जी को ये पता नहीं है की खानदानी रईस लोग बेशक घर में मूंगफली 
             खाते हों मगर बाहर  डकार तो बादाम के ही लेते है और हसाड़े  सोणे  ते मन मोहने पी एम् 
            उस देश को रिप्रेजेंट  कर रहे है जिसे  कभी  सोने की चिड़िया कहा जाता थाअब वोह दिन
            हवा हुए जब हमारा  पी एम्   भीख  का  कटौरा  लिए घूमता था अब तो सीधा सादा बिजनेस
           है यूरो देशो के संघ के टूटने से हमारे देश पर भी आर्थिक संकट आयेगा ।आप जी की याद
           कराने को यह बताना भी जरूरी है की यूं एस एस आर के टूटने पर सबसे ज्यादा  हमारे 
          व्यापारिओं को ही  नुक्सान  हुआ था अब फिर यूरो संकट से हमारा रुपया  भी  गिर रहा है 
         इसीलिए  यूरो  संकट  से हमारे सर पर भी संकट आ सकता है 
            अब क्यूंकि  यूरो ज़ोन  को  आर्थिक संकट से उबरने के लिए जी 20 समूह के देश 430
          अरब डालर  जुटा रहे है उसमे हमारा कन्त्रिबियुशन  ऊंट के मुह में जीरा है 
          और माननीय साख के लिए तो कुछ भी करेगा  
            सोणा  मनमोहना पी एम् बेशक घर में मूंगफली खाता हो बाहर तो डकार  बादाम  के ही लेगा 

रविवार, 17 जून 2012

भापा ने दादा के लिए डाडा से समर्थन माँगा

                                                                झल्ले दी गल्ला 




एक भाजपाई                                                                                                 
      ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है ? ओये  खानदानी विपक्षी कांग्रेसी दादा प्रणव मुखर्जी  के लिए भापा  डाक्टर मनमोहन सिंह ने बिना कुछ  लिए दिए  ही  हसाड़े   डाडा  लाल कृषण आडवानी  से  समर्थन मांग लिया है हुन  हमारा  क्या होगा???
झल्ला 
       ओ भोले बाशाहो प्रणव मुखर्जी की उग्र विरोधी ममता बनर्जी भी अब उनकी बहन बन गई है+कलाम साहब का कुछ निश्चित नहीं  है +
लगता है की आपकी एन डी ऐ के  बिहार और पंजाब का अन्दर खाने  समझौता  हो चूका है इसीलिए ये लोग अब प्रणव का अनावश्यक विरोध नहीं  चाहते  +
     राम  जेठमलाणी 'पर दाव लगाना बेवकूफी होगा
     चेन्नई +उड़ीसा ने ही पी ऐ संगमा का समर्थन किया है सो उनको मनाया जा सकता है 
     अब  जब सारे समीकरण आ'पके विरोधी के पक्ष में हैं तो ऐसे में हार का तमगा गले में डालना कोई दानिश मंदी नहीं  होगा 
 

मेरठ की समस्यायों की जानकारी नहीं निदान की बात कर रहे हैं|

में रठ की समस्यायों की  जानकारी  तो है  नहीं इन्हें तत्काल दूर करने का  सभी दलों का दावा 
 आज कल मेरठ   निगम  के लिए चुनावी समर  में ताल थोक  कर कूदे महारथी  अपना सीना ठोक कर मेरठ को बहिश्त+स्वर्ग+चमन+विकसित  बनाने के दावे करने में लगे हैं |
 मुह बाए खडी मेरठ की समस्याओं को दूर करने और विकास की गंगा बहाने की बात की जा रही है |ये बातें 80 पार्षदों के लिए 900+ प्रत्याशी  और मेयर के लिए 5 मुख्य  प्रत्याशी कर रहे है|इनमे से अधिकाँश ऐसे प्रत्याशी हैं जो सांप पकड़ने का मन्त्र नहीं जानते और बिच्छू को पकड़ने  का आश्वासन दे रहे हैं |अर्थार्त समस्यायों की जानकारी तो ही नहीं इनके तत्काल निदान की बात कर रहे हैं|
        भाजपा और कांग्रेस के बाद अब सपा भी खुल कर मैदान में हैं और समस्याओं के निदान करने का दावा कर रहे हैं।बसपा अभी  विधायकी के चुनावों में मिली हार से उबरी नहीं है ।इस लिए खुल कर सामने नहीं आ रही है मगर इस दल के प्रतिनिधि भी मैदान में हैं।बेसिक  शिक्षा और चिकित्सा की समस्या तो है ही ईनके अलावा भी अनेकों समस्याएं मेरठ को मिटाने पर तुली हैं।
ये सभी  सारी समस्यायों को दूर करने के दावे कर रहे हैं।अब 20% प्रत्याशी निरक्षर और इतने ही मेट्रिक  भी नहीं है इनलोगों की यह दलील होती है की जब अंगूठा छाप  देश चला सकते हैं तो हम निगम क्यूं   नहीं  चला सकते। यह कोई नहें बता रहा की कैसे समस्याएं दूर होंगी \क्या इनके पास कोई गीदड़ सिंगी   है या अलादीन का जादुई चिराग है  ।खैर मेरे विचार में यहाँ विचारणीय निम्न समस्याएं है उनका निदान मेरे हिसाब से उनके सामने है ।अब इन्हें कैसे दूर किया जायेगा यह तो प्रत्याशी बता सकते हैं।
[१] पूरे देश की भांति मेरठ में भी रिश्वत का घुन लगा हुआ है|यहाँ जन्म प्रमाण पत्र से लेकर छेत्र की सफाई  और भवन निर्माण तक में लेन देन अब टेबल के नीचे नहीं बल्कि टेबल के ऊपर 
 होने लगा है| देश के दक्षिण की एक पालिका में ऐसे ही जन्म प्रमाण पत्र के लिए जब अनावश्यक देरी की गई तो पीड़ित ने सीधे विभाग के नाम ही रिश्वत के १००/=का ड्राफ्ट बनवा कर भेज दिया 
तब जाकर वहां हंगामा हुआ और अधिकारी अमला चेता |हमारा मेरठ भी संक्रमण से अछूता नहीं है|यहाँ आये दिन ऐसी शिकायतें आती रहती है और प्रशासन इम्म्युन[असंक्रम्य्ह] हो चुका है|
निदान
  हर समस्या  के लिए समय निर्धारित करके  पारदर्शिता लानी चाहिए इसके लिए हर काम को वेब साईट पर लाना होगा|
[२]अनाधिकृत कालोनियां 
    मेरठ में आये दिन आउटर मेरठ के अलावा मेरठ के अन्दर भी इल्लीगल इम्मिग्रेंट्स  तक दिखाई देते हैं | इससे इनका शोषण तो होता ही है साथ ही गैर कानूनी गतिविधिओं को भी गति मिलती है\ 
निदान 
     इस विषय में वोट बैंक की भूख  सभी राजनितिक दलों में है और इसके लिए समस्या के निदान के लिए   अपनी आँखें मूँद लेते हैं।इससे समस्या का निदान तो होता नहीं हाँ छोटी बिल्ली बड़े खतरनाक बिल्ले का रूप  ले लेती है।क्यूं नहीं इनसब को कानूनी जामा पहनाया जा सकता इनकी पहचान करा कर पोलिस वेरिफिकेशन करवा कर इन्हें मुख्यधारा में लाया जा सकता।अब तो अमेरिका में बराक ओबामा तक ने अपने   वोटर्स  को लुभाने के लिए वहां के इल्लीगल इम्मिग्रेंट्स  को वर्क  परमिट तक देने की बात कह दी है। यहाँ भी यह मर्ज़ इतना बढ  गया है की इसे ही दवा बनाना पडेगा सो हमारे यहाँ भी इसे नियमित   करके   फंड्स   क्रिएट  किये जा सकते है  
[3]असमान विकास 
निदान  
   मेरठ के पोश कलोनिओं की आज तो सफाई =सड़क+नाली+पानी  आदि की जो नारकीय स्थिति है उसे देख कर मलीन बस्तिओं की हालात समझी जा सकती है मुझे याद है की एक बार  चेयर मेन अंसारी ने इससे पल्ला झाड़ते हुए कहा था की क्या सारा बजट यहीं खत्म कर दिया जाये ।कमोबेश वोही इस्थिति आज भी है ।
   छेत्र वार  बजट का आवंटन किया जाना चाहिए और सभासदों के माध्यम से  आवश्यक कार्य करने चाहिए
 इसे भी वेब साईट  पर होना चाहिए।
[4]विभागों में सामंजस्य का अभाव कभी कभार सड़क बन भी जाये तो कभी केबल वाले तो  कभी पानी वाले अब तो गैस वाले भी सड़को को काटने लग गए हैं ।बेशक हर विभाग का अपना अपना बजट होता है मगर आता तो हमारी जेबों से ही है यदि में  भूलता नहीं तो सांसद ने संसद में भी यह सवाल उठाया था मगर वोही सांसद अपने इस  छेत्र  में कोई दबाब नहीं बना सके नतीजतन यत्र तत्र  सर्वत्र भद्दे द्रश्य ही नज़र आते हैं।
निदान 
  उच्च स्तर पर सभी प्रभावी विभागों से पूरे वर्ष के कार्यक्रम की वरीयता ली जानी चाहिए और उसके हिसाब से  कार्य में सामजस्य बैठाना चाहिए।इसकी अवहेलना करने वालों को दण्डित भी किया जानाचाहिए ।अक्सर देखा जता है की वर्ष के अंतिम माहों में ही कार्य समापन कराया जाता है इसे चेक किया जाना चाहिए और पूरे वर्ष का कर्यक्रम होना चाहिए\
[5]कालोनिओं में पार्कों की व्यवस्था  अव्यवस्था में तब्दील हो चुकी है ।अतिक्रमण का शिकार अधिकाँश पार्क में  जानवरों की सैरगाह ही हैं डेरियां  हैं।
निदान 
     बिना किसी  भेद  भाव के पार्कों को मुक्त करवा कर उनका रखरखाव कराना होगा।
[6]निगम को खाली पड़ी जमीन का और   जमीन के अतिक्रमण का  कोई हिसाब नहीं
निदान 
    जमीन का उचित इस्तेमाल किया जाना होगा अगर जरुरी हो तो उसे नीलाम करवा कर जनहित कार्यों के लिए फंड्स  की व्यवस्था की जा सकती है।
[7]टेक्स  निर्धारण और उसके कलेक्शन की कोई पारदर्शिता नहीं है 
 निदान 
   अगर स्टाफ की  कमी है और अगर जरुरी समझा जाये तो आउट सोर्सिंग से यह कार्य  नियमित रूप से  कराया जा सकता है।
[8] शासन को बजट  भेजते  समय सभी दलों से  छेत्र  विशिष्ट नागरिकों  से संपर्क या सलाह नहीं ली जाती
निदान 
   पर्याप्त  बजट बना कर उसके प्राप्ति के लिए भी प्रयास करने होंगे।इसके लिए निरंतर दबाब बनाना होगा।[9]एतिहासिक नगरी को पर्यावरण के नक़्शे में पर्याप्त जगह नहीं है\
निदान
   चौधरी अजित सिंह ने अपने पूर्व के कार्यकाल में मेरठ को  पर्यावरण के नक़्शे पर लाने के प्रयास किये थेअब क्यूंकि अजित सिंह पुनः केन्द्रीय सत्ता में है सो  अब पुनः उस विषय में दबाब बनाया जा सकता है
[10] मेरठ में स्वच्छ जल की समस्या है 
निदान
   गंगा जल को मेरठ  लाने की कवायद को गति देनी होगी

   

शुक्रवार, 15 जून 2012

राष्ट्रपति भवन में बिछेगा हसाड़े प्रणव मुखर्जी का ही रुमाल

एक कांग्रेसी                                                                                        झल्ले दी गलां 
     ओये  झल्लैया देखा हसाडी पार्टी दा कमाल |
    मुलायम से ममता हो गई बेहाल |
    यूं पी ऐ की मीटिंग का  न्यौता  
    ना पा  कर छोड़ छाड़ दिल्ली की 
  गलियाँ |लौट गई अपने  सोणे  बंगाल |
ओये अब तो राष्ट्रपति भवन  में  बिछेगा  हसाड़े  प्रणव मुखर्जी का ही रुमाल |हुन तो वित्त मंत्रालय की  पूरी कमान होगी हसाड़े [ पिछड़े] आर्थिक महारथी मोंटेक सिंह अहलुवालिया  के हाथ \क्यों ठीक  है ना ठीक ???
झल्ला 
     हाँ जी खैर मुबारक जी  कहा भी गया है की ज्यादा रसोइये डिश की ऐसी की तैसी कर देते हैं।आपके मंत्रालय में इतने सारे आर्थिक महारथी होने से रुपया इतना गिर रहा है की   बोरों में पडा  सड  रहा हैस्विस बैंको में पडा  सुकड़  रहा है ।
  अब कम से कम एक महारथी  तो  रास्ते  से कम होगा । हसाड़े  सोणे  ते   मन मोहने   पी एम्  का काम  भी आसान होगा और अगर मोंटेक सिंह का  प्रोमोशन हो जाता है तो   हर मंत्रालय में विभाग में कार्यालय में ३५०००० लाख के टायलेट्स का आनंद सर्व जन द्वारा  लिया जा सकेगा|

सोमवार, 11 जून 2012

मेयर मेरठ का चुनाव नहीं आसान बस इतना समझ लीजे असंतुष्टों का दरिया है और डूब कर जाना है

बीजेपी के वरिष्ठ नेता एक्स पी एम् इन वेटिंग लाल कृषण आडवानी ने कुछ समय पहले अपने ब्लॉग के माध्यम से पार्टी के प्रति  आई उदासीनता से उपजी  शिथिलता के प्रति चेतावनी दी थी लगता है उससे सबक लेकर आज भाजपाइयों ने अपनी पहली ही सभा में असंतुष्टों को महत्त्व दिया और उन्हें साथ लेकर  निकाय चुनावों में विजय पथ पर  मार्च करने का आह्वाहन किया।
    मेयर प्रत्याशी हरी कान्त अहलुवालिया ने आज मेरठ शहर के रामा प्लाज़ा में अपने चुनाव कार्यालय का उदघाटन कराया।इस अवसर पर भाजपाई राजनीति में धुर  प्रतिद्वंदी मोहन लाल कपूर और डॉ लक्ष्मी कान्त वाजपई [अब प्रदेश अध्यक्ष]एक साथ एक ही मंच 'पर थे ।इस  उद्घातनोत्स्व  पर पार्टी की सभा का भी आयोजन कर लिया गया जिसमे सांसद  राजेन्द्र  अग्रवाल+शकुन्तला कौशिक+अमित अग्रवाल+हरिकांत के  प्रतिद्वंदी + धर्मवीर  नारंग +मंगल सैन आदि मंचासीन रहे।
[2]सभा स्थल  सड़े अठारह बजे 

[1] सभा स्थल  पौने अठारह   बजे 

[3]प्रदेश अध्यक्ष डाक्टर वाजपई  कार्यकर्ताओं को जीत का  नुक्सा  देते हुए 
  इस उद्घात्नोत्सव +सभा  में प्रतियाशिओं के साथ साथ उनके प्रतिद्वंदी भी नदारद रहे जिससे आडवानी की चेतावनी  को साफ़ देखा जा सकता था।  शाम  पांच बजे का समय देकर  पौने सात  बजे  कार्यक्रम चालू किया गया  पांच  बजे सभा स्थल पर कडाके की धुप थी इसीलिए सारी कुर्सियां खाली और जनता इधर उधर   छावं  तलाशती नजर आई। 6.40  बजे  प्रदेश अध्यक्ष के आने पर मंच सजाया गया ।इस दौरान अनेक उत्साही प्रत्याशी जुलूस की शकल में पहुंचते रहे भीड़ की बात की जाए तो इस बार पहली सभा में  चोटी+तिलक धारी के अलावा  गोल टोपी  की भीड़ को देखते हुए चुनाव के मौड़ को देखा जा सकता है ।    
  मेयर पद  और पार्षद पद के  शेष   दावेदारों की संख्या बेहद ही कम रही अर्थार्त पार्टी के प्रति उदासीनता की चेतावनी  अक्षरः दिखाई दी।सांसद  अग्रवाल  के अनुसार एक वार्ड से तीन से लेकर आठ लोगों ने दावेदारी प्रस्तुत की थी । पहले तो नगर निगम के अस्सी वार्डों में शत  प्रतिशत  उमीदवार नहीं मिले जितने मिले उनमे से आधे ही इस आयोजन में दिखाई दिए।असंतुष्टों की संख्या नगण्य ही रही ।यानि इतनी बड़ी संख्या में अनुपस्थिति यह दर्ज करती है की   अभी तक चयन प्रक्रिया के प्रति पार्टी में  असंतोष है +असहयोग है +अविश्वाश है।
         शायद  इसी कंडीशन को भांपते हुए ही  वक्ताओं  ने सभी को साथ लेकर  चलने  पर बल दिया प्रदेश अध्यक्ष डाक्टर लक्ष्मी कान्त वाजपई ने तो बागिओं को  मनाने के लिए आवश्यकता पड़ने पर उनके पाँव तक पकड़ने की सलाह दे डाली ।प्रदेश अध्यक्ष ने  छेत्र  में हासिल पार्टी की प्रतिष्टा को बनाए  रखने पर भी जोर दिया।इतना कहते ही उन्होंने मंच छोड़  दिया
      सुरेश जैन ऋतुराज के संचालन में  सांसद अग्रवाल ने  बागी उम्मीदवारों को मनाने का भरोसा देकर कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया ।
मंच पर केवल 11 महिलायें और 14 पुरुष प्रतियाशिओं का ही परिचय कराया गया।कुल मिला कर 25 प्रतियाशिओं का ही परिचय कराया गया \इसके अलावा भाजपा का वोट बैंक   जाट +गुज्जर+ जाटव +का प्रतिनिधित्व  मंच पर  कहें दिखाई  नहीं  दिया।जबकि वक्ताओं ने कम से कम 50 सीटें जीतने का दावा किया है।जाहिर है की  चुनाव नहीं आसान बस इतना समझ लीजे असंतुष्टों का दरिया है और डूब कर जाना है 

शनिवार, 9 जून 2012

मिस्टर एच आर डी सिब्बल की क़ाबलियत पर कानपूर में ITIANS ??लग गया है

मिस्टर एच आर डी सिब्बल की क़ाबलियत पर कानपूर में   आईथियन कुएश्चन मार्क??लग गया है|आई आई टी कानपूर की एकेडमिक सीनेट ने सीना ठोक कर संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए मंत्रालय के निर्णय को कूड़े दान में डाल दिया है और देश के   शेष  आईआईटी को साथ आने को निमंत्रण भी दे दिया है| कपिल सिब्बल के ड्रीम प्रोजेक्ट शिक्षा के अधिकार पर हो रही छिछालेदारी अभी कम नहीं हुई की ये नया बखेड़ा खडा हो गया लगता है की काबिल वकील सिब्बल की पीठ पर बैठे विवादों के बेताल हटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं|
कपिल सिब्बल पूरे देश में इंजीनियरिंग की एक सामान परीक्षा कराना चाहते हैं सामान सिलेबस  से होने वाले यह परीक्षा एक अच्छा प्रयोग हो सकती है इसके लिए xii कक्षा के मार्क्स भी जोड़े जाने हैं|चूँकि यह परीक्षा सी बी एस ई के माध्यम से होनी है सो आई आई टी को यह मंजूर नहीं है वैसे तो देश में ४४ स्टेट बोर्ड है सबकी अपनी मूल्यांकन+ चयन प्रक्रिया है ऐसे ही आई आई टी की भी अपनी प्रक्रिया है इसीलिए आई आई टी देश में अग्रणी है | यहाँ से क्रीम निकल कर देश और विदेश में नाम कमा रही हैं\

   कुछ सालों से आई आई टी पर सरकारी पकड़ मजबूत करने को कवायद चल रही है| संभवत इसीलिए जे ई ई में बदलाव लाया गया है |xii  की परीक्षा के 40% मार्क्स जुड़ने है दूसरी तरफ 2013 में होने वाले जे ई ई के लिए दुबारा परीक्षा को आवश्यक बताया जा रहा है यहाँ तक की सी बी एस ई की गुणवत्ता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाए जा रहे हैं।  हाई स्कूल तक की परीक्षा में कम्पटीशन का तनाव ना हो इसके लिए इसका सरलीकरण किया गया मगर आश्चर्यजनक रूप से इंजीनियरिंग की परीक्षा में प्रतिस्पर्धा को कडा करके तनाव पैदा  करने की यह कौशिश   समझ से परे हैं

शुक्रवार, 8 जून 2012

पानी दिखना चाहिए बेशक पानी गंदे नाले का ही क्यूं न हो।


रहीम कह गए हैं की पानी जरूर रखना चाह्हिये ।मनुष्य+मोती और चून के लिए पानी  बेहद जरूरी है ।लेकिन आज कल  ग्वाले +गद्दी को चारे में मिलाने को पानी चाहिए + दुग्ध  व्यवसाई को  मिलाने को पानी  चाहिए+ त्रस्त  जनता  को गर्मी से निजात के लिए बारिश का पानी  और बेचारी भैंस को नहाने को जैसा भी हो पानी  चाहिए।अब बिज़ली बनाने वाले भी कहते हैं की पानी  चाहिए।यानि सबको पानी चाहिए
   आज कल भैंस चराने वालों को छोड़ो जनता को चराने वालों में भी पानी नहीं बचा। पानी में हाऐद्रोज़न और आक्सीजन  जरूरी है मगर पर्यावरण में हैड्रोजन HIDROGEN + सी औ  2इतनी बढ  रही है की आक्सीजन को ही खाए जा रहे है शायद इसीलिए बड़े  लोग 3500000/= के टायलेट्स  में जाकर ठन्डे पानी की  ठंडक का एहसास कर लेते हैं लेकिन  आम जन  और पशु इन्ही नालों के तटों  पर 3500000 बचा लेती है जनता  बेचारी इन्हें कोस कर ठंडी हुई जा रही है  और भैंसें जहां पानी दिखा  वहीं  घुस कर अपने गर्मी दूर  कर लेती हैं।
 पानी तो पानी ही होता है अब तैरना हो  मिलाना हो पिलाना हो या फिर चराना हो जैसा भी हो  पानी  होना ही चाहिए
शायद यही वजह है की शहर मेरठ में पानी के जोहड़+चर +तालाब+झरने कहीं दिखाई नहें देते लेकिन भैंसों को तो पीने के साथ नहाने के लिए और तैरने के लिए पानी  दिखना चाहिए अब पानी गंदे नाले का ही क्यूं न हो।इसीलिए सूरजकुंड के पुल के  नीचे बहते गंदे नाले मेंगर्मी का एहसास कम कर रहे हैं ये भैंसें   [जमोस सबलोक]                         फोटो         सूरजकुंड के नाले  का द्रश्य 

गुरुवार, 7 जून 2012

डाडा लाल कृषण आडवानी + पुराने धुरंधर बलराज मधौक की मुलाक़ात

डाडा लाल कृषण आडवानी ने  पुराने धुरंधर बलराज मधौक के घर जा कर मुलाक़ात की और ठहरे पानी में हलचल मचा दी है| लगता है हाशिये पर लाये गए भाजपाई एकजुट होने लग गए हैं|
आडवानी को आज कल नरेन्द्र मोदी और नितिन गडकरी की जोड़ी ने  बुजुर्ग  बना कर अलग थलग करने की सोच रखी है |आये दिन कोई न कोई विवाद सर उठाता रहता है |पहले जिन्नाह पर टिप्पणी के लिए उन्हें आर एस एस ने अपमानित किया और अलग थलग कर दिया अब क्योंकि आर एस एस +भाजपा को आडवानी में कोई 
करिश्मा नज़र नहीं आ रहा इसलिए गुजरात से नरेन्द्र मोदी को आयात करने की यौजना है |तभी तो संजय जोशी की बलि स्वीकाए कर  ली  गई है\
इस नए बदलाव  से आडवानी और उनकी दिल्ली की टीम का असहज होना स्वाभाविक ही है| मोदी के विरुद्ध और संजय जोशी के समर्थन में पोस्टर छपने स्वाभाविक हैं\
बलराज मधौक एक ज़माने में जनसंघ में कदावर नेता थे मगर कश्मीर में एक कालीन के मामले को लेकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया था इनके हटने  अटल बिहारी वाजपई  को मौका मिल गया उन्हें अडवानी  सरीखे जनरल  का साथ मिल गया  बाद जनता पार्टी और
फिर भाजपा बनाई गई\ 
शनेह  शनेह  यह पार्टी प्रमोद महाजन सरीखे नेताओं के चंगुल में आने लग गई ।पार्टी विद डिफरेंस केवल नारा बन कर रह गया यहाँ तक की परम्परागत वोट बैंक को भी अनदेखा किया जाने लगा ।
   बलराज  मधौक ने जनसंघ को नहीं छोड़ा ।इस पर उन्हें सत्ता के नज़दीकी होने के आरोप भी लगाए गए मगर इस सबके बावजूद  बलराज मधौक ने जनसंघ को नहीं छोड़ा है  आज भी मधौक जनसंघ के सर्वोच्च नेता हैं अभी भी जनसंघी विचारधारा वाले हिन्दुओं में उनकी अच्छी खासी पकड़ है |
पंजाबी वोट बैंक विशेषकर देश विभाजन के पश्चात माइग्रेट होकर आये पंजाबिओं को दिशा देने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है|
बेशक आडवानी का यह कहना है की इस वर्ष संसद में इस वरिष्ट नेता से मुलाकात नहीं हुई थी सो उनके[मधौक] के घर मिलने चले आये|लेकिन इस मुलाकात को एक नए समीकरण के उदय के रूप में भी देखा जा सकता है\

    दिग्गजों की इस मुलाक़ात पर बहस के तीतर लड़ाए जाने लाजमी है सो लड़ाए जा रहे हैं\
एक तरफ जहाँ इसे  होने वाले राष्ट्रपति के चुनावों के परिपेक्ष्य में देखा जा सकता है तो दूसरी और भाजपा पर अपनी पकड़ मजबूत रखने को यह लाल क्रशनी पेंतरे बाज़ी हो सकती है । 
    दिल्ली  की आडवानी टीम किसी  भी  सूरत में मुम्बैया राजनीति को आगे नहीं  आने देगी इसके लिए उनके पास केवल  और केवल आडवानी का कार्ड ही है इसीलिए इस कार्ड को जीवित रखा  जाना भी जरूरी है।शायद इसलिए पहले ब्लॉग के माध्यम से पार्टी पर छींटाकशी फिर  एक के हंगल पर टिप्पणी से अपने इरादे स्पष्ट किये जा चुके हैं\

शनिवार, 2 जून 2012

पेट्रोल के दामो में भारी कमी

पेट्रोल के दामो में भारी कमी
७.५३ बढाकर २.०२ कम कर दिए गए अब आप इसे ऊंट के मुह में जीरा कहें या राजनीतिक शतारंज़ लेकिन आज रात से कमी तो हो ही गई |
अब ये मत कहना कि विपक्ष के भारत बंद का असर हुआ है क्योंकि बंद के दो  Days   बाद यह कम हुआ है|
 राजेश खन्ना कि फिल्म को दोहरा दिया गया है ७.५३ बड़ा कर २.०२ कम करके ५.५१ का फ़ायदा हो ही गया |
 अर्थार्त शब् में मयकशी कर ली सुबह को तौबा करली रिंद के रिंद रहे जन्नत भी हाथ से न गई इसीलिए भैया क्रेडिट तो वोहे लेगा जिसके हाथ में सत्ता है| हाँ हाँ भैया जी सरकार कि कुछ किर किरी तो हुई है इसीलिए आप यह जरूर कह सकते हैं कि पेट्रोल कि दलाली में हाथ जले ही जले |लेकिन ये जले भी कया जले क्योंकि ये तो आप भी मानते हैं कि नंग बड़े परमेश्वR