ओये झाल्लेया ये कया हो रहा है?साउथ अफ्रीका के जिस शांत वातावरनिया मकान में हसाडेबापू ने एक, दो साल रह कर नस्ल वाद के विरूद्व अलख जगाई थी उस मकान को खरीदने के लिए अब वहाँ घमासान मचा हुआ हैवहाँ के शांत वातावरण को भी अब नज़र लग गई है
झल्ला पावर बचाओ वाटर बचाओ
ओ मेरे भोले नादाँ जी महात्मा गांधी जब से दिवंगत हुए हैं तभी से बिक रहे हैंकिसी पुराणी शराब की तरह दिनों दिन गांधी ब्रांड की मांग भी बढती जा रही हैमकान तो छोड़ो उनका तो नाम ही काफी है बेशक उनकी अपनी पार्टी ने उनके विचारों से किनारा कर लिया हो मगर साउथ अफ्रीका में गांधी जी को यातनाएं देने वाली नस्ल के मौजूदा नेता भी गांधी जी पर किताब लिखने की बात उछाल कर ही प्रसिद्दि प्राप्त कर ही चुके हैं
बिल्कुल सही फ़रमाया आपने! अच्छा लगा पड़कर!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही .....और सटीक लेख है .....पहली बार सिरकत करी आपके ब्लोग पर कुछ अच्छे विचरो से रुबरु हुआ.....धन्यवाद
जवाब देंहटाएंmitr aaj aap ke blog par pahli baar aaya hun bhut hi behtreen badhayi swikaar kare
जवाब देंहटाएंsaadar
praveen pathik
9971969084
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जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंom ji praveen ji jhalle ke blog par red carpet welcome
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