रविवार, 20 सितंबर 2009

चीन सीमा पर पारदर्शिता जरूरी

एक कांग्रेसी
ओये झाल्लेया ये कया हो रहा है?हसाडे मुल्क के बार्डरों पर कोई समस्या नहीं है फ़िर भी तुम्हारी बिरादरी [मीडिया]वाले हाय हल्ला मचा रहे हैं ख्वाह्मखाह मचा रहे हैं चीन के बार्डर पर तो ना सूत हे और ना ही कपास और मीडिया वाले लट्ठ को कलम बनाए घूम रहे हैंओये अगर ऐसा ही चलता रहा तो समझो गई भैंस पानी में चीन से पंगा होवे ही होवे
झल्ला पानी बचाओ+बिजली बचाओ
ओ मेरे भोले शाह जी बिना आग के धूना नही उठता मीडिया वालों की लम्बी लम्बी नाक पर मोटे मोटे ग्लास वाले चश्मे नहीं दूरबीने होती हैंपकिस्तान +बंगलादेश+श्रीलंका के अलावा चीन की सीमाओं पर होने वाले छोटी सी हलचल को अगर छुपाने की कौशिश भी करोगे तो उसकी परछाई की विशालता तुम्हे ख़ुद को ही डरायेगी झाल्लेविचारानुसार किलसने के बजाये सीमा के मामले में पारदर्शीता अपना कर त्वरित उचित कार्यवाही करना ही दानिशमंदी होगी

2 टिप्‍पणियां:

  1. चीन से सतर्क रहने की तो जरूरत है ही.सन ६२ में घर के भीतर के अनेक कामरेड चीन के समर्थक थे

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