शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

आडवाणी की मूछें और सब्जी दाल रामप्यारे हो रहे हें

एक कांग्रेसी एम्.पी.
ओये झ्ल्लेया ये कया हो रहा हे?लाल कृषण जी आडवाणी ने संसद में फ़िर से बासी कड़ी में उबाल लाने के लिए हसाडे सोणे पी.एम्.को निशाना बनायाअपनी बची खुची मूछों पर ताव देते हुए कह दिया कि देश के पी.एम्. को लोक सभा से ही होना चाहिए हसाडे मनमोहने बेशक राज्य सभा से हें मगर यार आर.एस.भी तो संसद का ही एक हिससा हे कल तो ये लोग ये भी कहने लगेंगे कि संसद दिल्ली में हे इसीलिए पी.एम्.भी दिल्ली का ही होना चाहिए
झल्ला बिजली बचाओ पानी बचाओ सेव पावर सेव वाटर ओ बाऊ जी खैर मनाओ कि बी.जे.पी.के सिपहसालार ही एल.के.आडवाणी जी कि टांग खींच रहे हेंइसीलिए पार्टी भाम्बरभूसे में दिख रही हेयेही वजह हे कि आडवाणी जी बेचारे बिना पानी पीये ही त्वाडे पी.एम्.को कोसने का कोई मौका छोड़ना नही चाहते इसी किल्साहट में आडवाणी जी की मूछों के बाल और बाज़ार से सब्जी दाल भी राम जी को प्यारे हो रहे हें भूल गए वोह दिन जब प्याज की कीमतें बड़ने पर ही सरकारें गिर जाया करती थी अब १४१ जिलों में सूखा घोषित किए जाने पर आंधी तो कया हवा ,बाड़ तो कया सावन भादों में हलकी विरोध की बारिश भी नहीं हो रही

3 टिप्‍पणियां:

  1. इस समय महंगाई के विरोध से जनता की सहानुभूति ली जा सकती है, प्रधान मंत्री के राज्यसभा सदस्य होने जैसे मुद्दे से नहीं.लेकिन चुनाव दूर होने के कारण अभी शायद जनता की सहानुभूति की जरूरत नहीं.

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  2. Pandey ji jab jaroorat hogi tab tak to bahut dair ho chuki hogi.

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  3. आपने तो बिल्कुल सच्चाई का ज़िक्र किया है! महंगाई तो आसमान को छू रही है और लोग परेशानी में दिन गुज़ार रहे हैं! अब तो चुनाव का इंतज़ार करना होगा हालाकी काफी देर है!

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