शनिवार, 21 अप्रैल 2012

'प्रत्याशी अविभावक और वाहनों की व्यवस्था केंद्र के अन्दर ही रहे।


    यूं.'पी.टी.यूं.के लिए २४००० और बी.एड.+एस.एस.सी. के लिए 25000 छात्र  अपना  भाग्य आज़मा रहे हैं। इन 'परीक्षाओं के लिए  केंद्र  बनाये गए हैं।इन  केन्द्रों में अन्दर की  व्यवस्था तो  जैसी होगी होगी मगर इन आलिशान केन्द्रों के बाहर  हमेशा की तरह ट्रेफिक की समस्या का निदान होगा इस पर संदेह है।
    गनीमत है की इंजीनियरिंग के लिए रविवार को और शेष के लिए सोमवार का दिन निश्चित किया गया है अन्यथा ट्रेफिक की स्थिति टेरिफिक हो सकती थी\
     शिक्षा के इन स्रोतों के लिए वर्चस्व सरकारों के हाथों में होता है मगर व्यवस्था के लिए निजी संस्थानों को हायर किया जाता है इसके लिए मोटी रकम भी अदा की जाती है लेकिन इन केन्द्रों के बाहर लगभग अराज़कता ही दिखाई देती है ।
[१] २२२-०४-२०१२ गंगानगर के एक प्रबंध कालेज के बाहर ट्रेफिक समस्या 

[२]२२-०४-२०१२ परीक्षा केंद्र के बाहर अनियंत्रित वाहन 
  देखा जाता है की  'प्र्त्याशिओन के साथ उनके अविभावक  और वाहनों की बड़ी भीड़  निश्चित समय से पूर्व ही  लगने लगती है कालेज के गेट निश्चित अवधि पर ही खुलते है जबकी बाहर किसी रैली का नज़ारा दिखने लगता है \निश्चित समय पर 'प्रत्याशी तो केन्द्रों में चले  जाते  हैं मगर अविभावक और वाहन बाहर सड़क 'पर या किनारे ''पर  ही रह  जाते   हैं।इसीके कारण छेत्र में ट्रेफिक की समस्या उत्पन्न हो जाती है\
सम्भवत इसीलिए ट्रेफिक और सिविल पोलिस को समन्वय बना कर व्यवस्था को सुचारू रखने  के आदेश दिए गए थे मगर इस सबके बावजूद वाहन और अविभावक बाहर सडकों पर अनियंत्रित  ही रहते हैं\।


  यूं.''पी,टी यूं.का ही अगर उदहारण लिया  जाए तो एक केंद्र के लिए १००० से  ज्यादा ''परीक्षार्थी  हैंइन परीक्षाओं से केन्द्रों को मोटी आर्थिक कमाई  और  पब्लिसिटी भी ज्यादा मिलती है।इसीके फलस्वरूप इनका चैत्रफल बढ़ता जा रहा है इसीलिए  कमसे कम  छात्रों के  अविभावकों और वाहनों के  लिए केंद्र के अन्दर  किसी उचित  व्यवस्था  की उम्मीद तो की ही जा सकती है। 

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