शुक्रवार, 25 मई 2012

'पेट्रोलियम कम्पनिओं का खर्चा छूता आस मान || इसीलिए भैया रोल बैक बैक की बढ रही है मांग

पेट्रोल की धार से जन जीवन हुआ परेशान|
रोल बैक रोल बैक रोल बैक की बढ रहीमांग \\
कीमतों की बढोत्तरी में अब नहीं है कोई शान |
'पेट्रोलियम कम्पनिओं का खर्चा छूता आस मान ||
इसीलिए भैया रोल बैक बैक की बढ रही है मांग 
सरकारी खर्चों से अब रहा नहीं कोई अनजान \
कंटीजेंसी के नाम 'पर लुटाना नहीं रहेगा आसान ||
जनता के वास्ते अब  खुद  ही बनना निगेहबान |
इसीलिए रोल बैक  बैक की बढ रही रोजाना  मांग \|
पेट्रोलियम मंत्री लौट आये है प्रवास से थके होंगे |
सो पुनर्विचार को मांग लिया है कुछ दिन का दान ||
रुपये या पेट्रोलियम का बाज़ार क्या लेगा नया मौड़ |
 इसी ग्राफ पर सरकार के लगे रहेंगे नाक और कान ||
  रेड्डी जी रोल बैक बैक की नित बढ रही है मांग 
 विपक्षी  दलों ने भी बजा दिया है विरोध का बिगुल |
 ३१ मई को  भारत बंद का कर दिया है आह्वाहन 
 इस इंतज़ार में पता चलेगा  इनमे है कितनी जान ||
सो रोल बैक बैक की बढ रही है रोजाना मांग 

गुरुवार, 24 मई 2012

सरकार की नीतिओं की तो पहले से ही आलोचना की जा रहीं हैं अब नियत पर भी सवाल लग गए हैं

अच्छा खासा बजट  सत्र बीत गया  सत्ता की तीसरी  वर्षगाँठ भी हंसी खुशी मना ली  लगता है इसी दंभ  में अपने वजूद को टटोलने के लिए  यूं पी ऐ की सरकार ने  सड़क पर पड़ी हुई पेट्रोल  से तरबदर  कुल्हाड़ी पर ही अपना पावँ दे मारा है  जाहिर है  कि  जख्म  और उसका दर्द  कुछ दिन तो सताएगा ही  |कुल्हाड़ी भी छिटक कर  जनता में जा पडी है जिससे सभी को  साड़े सात रुपये का घाव  आया है |सभी तरफ हो हल्ला हो रहा है विपक्षी पार्टिओं के अलावा  सत्ता के घटक और बाहरी समर्थक सभी वोही कुल्हाड़ी लेकर सरकार के पीछे पड़ गए हैं |पुतले फूके जा रहे हैं+प्रदर्शन हो रहे हैं +ब्यान बाज़ी जारी है+छुटभैय्ये भी सीने को चौड़ा करने में लगे हैं |
   सरकार अपने  मूर्खता पूर्ण कदम के लिए पेट्रोलियम कम्पनिओं को दोषी बताने लगी  है कम्पनिओं ने भी सरकार के जख्मों पर मलहम लगते हुए रोजाना ५० करोड़ रुपयों के घाटे का रोना शुरू कर दिया है |
सरकारी दावं है कि रुपये के  अवमूलयन से डॉलर महँगा हुआ है इसीलिए कच्चे तेल का आयात  महँगा हो रहा है |  यह दावा मृगत्रिशना मृग त्तृष्णा  ही लग रहा है।पहले   बच्चो को  बहलाने  को कहा जाता था की      अरे तेरा  कान   कौवा  ले गया और बच्चा    कौवा ही   ढूढता रहता था।अब   मीडिया  के  सशक्तिकरण से  सत्य पेट्रोल की आग से भी तेज  फैलता   है इसीलिए आजकल कौवे  के 'पीछे भागने के बजाये बहकाने वाली सरकार को ही   घेरने की तैय्यारी है। दबाब बनाया जा रहा है ।
   बहलाने से जब काम नहीं  चला तो अब सहलाने की तैय्यारी है और सरकार अपने  जख्म  के दर्द  को भूल कर जनता को सहलाने लग गई है ।सुना गया है की यूं पी ऐ ने अपनी पार्टी की प्रदेशों में चल रही सरकारों को टैक्स कम   करने को फरमान जारी  कर   दिया है। केरल+उत्तराखंड ने पहल कर भी दी है इसके अलावा एक  और      छोटे   गोवा  में भी  वैट  कम   किया जा चूका है । ये    सभी छोटे राज्य  हैं सो ऊण्टः  के मूह में जीरा साबित होंगे।
  पेट्रोलियम मंत्री श्री रेड्डी को विदेश यात्रा से वापस बुला लिया गया है और आगामी माह में कुछ राहत  देने को मांड वलि  चल रही है ।
सरकार    की नीतिओं की तो पहले से ही    आलोचना  की जा रहीं हैं मगर अब  नियत पर भी सवाल  उठने  लग गए हैं ।[1] रुपये के    अवमूलयन    को    भारतीय  रिसर्व  बैंक  [आर बीआई] की  उदासीनता  [2]एक मुश्त  साड़े  सात रुपयों की वृधि [3] थोड़ी  राहत का लाली पोप एक मंत्री  महोदय ने तो नमक को  ही मलहम मान   लिया और कह बैठे  है की आम आदमी की जरूरत तो केवल रोटी+कपड़ा+मकान ही है  पेट्रोल से आम आदमी को कया लेना देना 
इन सब उपायों से  राजेश  खन्ना  की फिल्म की  याद आ गई ।इस  फिल्म का   नायक  खलनायकों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए पहले    कीमतें  आसमान  पर पहुंचा देता है फिर जनता की फेवर लेने के लिए बड़ी हुई कीमतों को आधा कम कर देता है ।दोनों पक्ष  खुश और  नायक की    जेब   हो जाती  है गरम 
      लाख  टके  का सवाल उठता   है की इस पेट्रो के खेल के पीछे  का खलनायक कौन है???आप भी   अपने  आस पास    देखिये  और में भी आँखों में दाल लेता हूँ  भीम सेनी सुरमा      [जमोस सबलोक] 

पेट्रोलियम कम्पनिओं ने दिखा दी पेट्रोल की धार | 10 प्रतिशत कीमत बड़ा कर मचवा दी हाहाकार||

हमारा दिवाला तो सरकारी दिवाली 
पेट्रोलियम कम्पनिओं ने दिखा दी पेट्रोल की धार |
10 प्रतिशत कीमत बड़ा कर मचवा दी हाहाकार||
आम आदमी को पेट्रोल से नहीं है कोई सरोकार |
रोटी कपड़ा और मकान मिले तो समझो उपकार ||
बड़े दामों पर मनमोहनी सरकार ने खींच लिए हाथ |
विपक्ष ने भी भारत बंद को ले लिया है सबको साथ||
कंपनी कहे ५० करोड़ का रोजाना हो रहा नुक्सान |
विपक्ष कहे ४१%टैक्स से खजाने की बढ रही है शान ||
केंद्र कहे राज्यों से घटाओ लोकल टैक्सों की मार |
गैर कांग्रेसी राज्य कहें केंद्र का है नाजायज़ इन्साफ ||
कस्टम,एक्स्साईस , आयकर सेस,वैट के चक्कर में
सोने की चिड़िया सा सोणा देश बन गया घनचक्कर |
काले पेट्रोल की दलाली में सभी नेता खा रहे शक्कर ||
रुपये की कीमत फिसल रही पेट्रो भी छूए आसमान |
इस गन्दी राजनीति से निकलना रहा नहीं आसान |

मंगलवार, 22 मई 2012

सहयोगिओं के ऐसी मदद मिली यूं पी ऐ सरकार डिरेल होते होते बच गई

यूं पी ऐ के दूसरी पारी के तीन साल पूरे हो जाने पर भी ट्रेन दुर्घटना हो गई|
जांच होगी +मुआवजा बटेंगा +चर्चा संसद में नहीं मीडिया में खूब होगी 
लेकिन इस पर अफ़सोस जताने के अलावा और कुछ भी नहीं हो सकता 
क्योंकि लोक पाल+सिविल एविएशन+ब्लैकमणी+महंगाई जैसे लोकप्रिय 
जंक्शनों पर अनेक विपक्षी रूकावटे होने पर भी सरकार सरपट ही रही 
सहयोगिओं के ऐसी मदद मिली यूं पी ऐ सरकार डिरेल होते होते बच गई 
अब आप ही बताइये कि मामला दुःख का है या जश्न मनाने का मामला है

लेकिन संसद मेतो बिना कुछ लिखे ही कागज़ सफ़ेद ही पेश हो गया


सफ़ेद कागज़ पर काली स्याही से हम भी तो लिख लेते हैं कभी कभी 
लेकिन संसद मेतो बिना कुछ लिखे ही कागज़ सफ़ेद ही पेश हो गया 
काले धन के पीछे काले लोगों का देखो अता या पता कुछ भी नहीं
कितना काला धन है बाहर कितना अन्दर है काला कोई इल्म नहीं
काला पैसा काला पैसा करते करते देखो धन काला दिखा ना कोई
भगवा धारी राम देव सफ़ेद टोपी अन्ना का दिल मांगे काला सभी
काला काला करते करते  संसद  में आज  काला दिखा नहीं कोई 
वित्  मंत्री संसद में आये थे पहन के काला बंद गले का बस कोट 
श्वेत पत्र लोक सभा में पेश करके सुनिश्चित हुए  मिस्टर ब्लैक कोट 
तभी   बेचारे वित्  मंत्री  भूल गए राज्य सभा में हैं  बड़े सांसदों  केवोट 

रविवार, 20 मई 2012

फिलवक्त क्रिकेट की नाजायज़ पैदाईश ही सबपे भारी है

बचपन था रईस फाक्तायें हमने भी तब बहुत उड़ाई हैं|
लेकिन अब ये आलम काले कव्वे  तक के दीदार नहीं ||
चला लिया करते थे तब पानी में कागज़ के भी जहाज़ |
मगर अब पानी और कागज़ दोनों के लिए जंग जारी है|| 
बैट उठा कर तौडा किया करते थे कांच और खिड़कियाँ कभी| 
फिलवक्त क्रिकेट की नाजायज़ पैदाईश ही सबपे भारी है ||
आई पी एल कहते जिसे उसमे हैं बेशक खूबसूरत रंग कई \
किस्मत कि मार ऐसी ये भी सभी बदसूरत हुए जाते हैं||
डॉलर है औरों कि तरह हमको भी चहेता आज भी बहुत|
लेकिन रब्बा क्या करें रुपये पर झल्ले को भी आंसू आते हैं||

आई पी एल I P L Cricket कारणे भ्रष्ट भये लोग|

क्रिकेट को लेकर मचा शोर चहुँ और ,|
खेलपर   रहा अब  नहीं कोई   जोर ||
आई पी एल  कारणे भ्रष्ट भये  लोग|
मैच फिक्सिंग का फैला भयंकर  रोग||
सैक्स  ब्लैक मनी का शोर  है चुहूँ और|
आई पी एल बंदी  को लगा रहे सभी जोर||
 सांसद बैठे धरने पर स्टेडियम के बाहर |
जब संसद में चला नहीं किसी का जोर ||
भद्र  पुरुषों  के क्रिकेट की उड़ रही बेल्स |
तब भी चालू है ना जाने किस किस का खेल ||

सोमवार, 14 मई 2012

63 साल का कार्टून 60 साल की संसद को कार्टून बना सकता है

एक कार्टून के छपने से भौंचके है सब लोग |
किताबों से  हटाने को लगा रहे पूरा  जोर \\
प्रणव मुखर्जी ने  संसद  में  कहा  सीना तान |
सभी किताबों से  तुरंत  हठाओ ये  नया रोग\|  
टेबल थप थपा कर समर्थन मिला भरपूर|
सारे विवाद सारे झगड़े मुड़ गए दूसरी और\|
मीडिया ने अपनी आदत  पुराणी दोहराई |
मीडिया पर अटैक की दे रहे है दुहाई ||
इस प्रकरण  से अब हमने यह  जान लिया |
६३ साल पुराना  एक  ब्लेक  &व्हाईट  कार्टून 
  आज   भी  सांसदों को कार्टून बना सकता   है 
  

रविवार, 13 मई 2012

भारतीय संसद के 60 साल पूरे करने पर सबको लख लख वधाइयां

बधाई  भारतीय  संसद के 60 साल पूरे करने पर सबको  लख लख  वधाइयां  
बाबा साहब डाक्टर भीम राव आंबेडकर ने दुनिया के श्रेष्ठ संविधानों में से एक भारतीय संविधान लिखा और अच्छा लिखा इसीके बल पर हमारा लोकतंत्र ६० साल पूरे कर चुका है| सो सबको बधाई ।अब मोहन दास  तो रहे नहीं हाँ  मनमोहन  सिंह  का राज है  इन्होने अपनी मन मोहनी बोली में लोक तंत्र को मजबूती प्रदान  करने के लिए आत्म   निरीक्षण पर  जोर दे दिया है ।अपने इस वक्तव्य में जवाहर लाल नेहरू के उस  विश्वाश को भी बल   दिया जिसके अनुसार उन्होंने अपनी बुधिमत्ता  को  सभी समस्यायों की कुंजी बताया था  ।
   कहा जाता है की लोक तंत्र की मजबूती के लिए आत्म   निरीक्षण और अपनी आलोचना हमेशा सहायता देती है मार्ग दर्शक रहती है।हमारे लोकतंत्र में भी अक्सर  लोक के स्थान पर तंत्र के महत्त्व   दिए जाने की आलोचना की जाती रही है और यही हमारी चिंता का विषय है 
    
 २६-११-१९४९ को  इसी संविधान निर्माता ने यह  टिप्पणी  भी की थी की संविधान अगर बहुत अच्छा हो और वह  बुरे हाथों में चला जाए तो अच्छा संविधान भी बुरा बन जाता है  जबकि बुरे  संविधान को अच्छे लोग अच्छा बना लेते हैं|इस  टिप्पणी का भावार्थ जो में समझा हूँ उसके अनुसार संविधान निर्माताओं ने भी अच्छे संविधान पालकों की अपेक्षा की थी 
    १४४ स्थम्भों वाली संसद आज अपनी  ६० साल की आज़ादी  का जश्न मना रही है | सिक्के +टिकट  जारी होंगे+वरिष्ठ सदस्यों को सम्मानित  किया जाएगा।+60 साल  के संसदीय  यात्रा   की किताबों का भी लोकार्पण होगा यह देख कर वाकई      अच्छा  लगता है की  हमारी संसद आज भी  जीवंत है 
  यहाँ पर एक और   महान नेता डाक्टर सर्वपल्ली  राधा कृष्णन  को कोट करना चाहूंगा उन्होंने 14-08-1947 को कहा था की  शक्तिओं के दुरूपयोग  से प्रतिभाओं का तिरस्कार   किया  जाएगा तो हम  पुराने बुरे दिनों के इतिहास को ही दोहराएंगे । अब हम अपनी गलतिओं के लिए  विदेशी  ताकत को दोष नहीं दे सकते इसीलिए उन्होंने शक्तिओं के सदुपयोग का उपदेश देकर प्रतिभाओं को उचित सम्मान  दिए जाने पर बल  दिया था ।
  अब ज़रा  संसद के 60 साल में से कुछ सालों  पर नज़र हो जाए
         5 और 10 रुपयों के सिक्के जारी होंगे । सिक्के बाज़ार  में से गायब  है  सो इसकी  वेल्यू किसी से छुपी नहीं है यह  गिरावट आज ही नहीं हो गई 1963 में समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने बताया था की उस समय देश की 70% आबादी केवल 20% आमदनी पर ही जीवित थी । उस समय के महज़  तीन आने [एक रुपये का 5  वां हिस्सा]पर ही पेट भरने वाला आज भी अपनी  तरक्की को तरस रहा है \अर्थार्त इतनी ही %  आज भी गरीबी की रेखा से नीचे है ।डाक  टिकट बेचने वाले पोस्ट आफिस अपने अस्तित्व को  जूझ रहा है \
   वरिष्ठ सदस्य  रिशांग कीशिंग  समेत चार वरिष्ठ सदस्यों को सम्मानित  किया   जा रहा है अब इन वरिष्ठ  कीशिंग [कांग्रेसी]का कहना है की उन्होंने संसद के काम को बेरोकटोक  चलाने के लिए अपनी वकालत की पढाई को आड़े नहीं आने दिया और  शत  प्रतिशत उपस्थिति दर्ज़ कराई मगर आम  दिनों की तो छोड़ो इस   समारोह में भी अधिकाँश समय ज्यादातर सीटें खाली ही रही । 
  एक  और सदस्य   के अनुसार पहले सांसद सायकिल या  रिक्शे पर भी आते थे एक सांसद   आज भी किराए के मकान में रह रहे हैं मगर आज के दौर के  आदरणीय सांसद  पहले दिन से ही महंगी महंगी  गाडिओं में आते है और महज़ पांच साल में अधिकाँश की सम्पत्ति में कई गुना  वृधि हो  जाती है 
  वैसे एक बात है की लगभग सभी  राजनितिक  दलों ने मतभेद     भुला कर संसद  की  सर्वोच्चता को स्वीकार  किया।मगर अपने अपने पार्टी हितों का उल्लेख करने से चुके भी नहीं लगता है की सारी बातें सही है मगर अहम्   का पतनाला वहीं गिरेगा  
    इस   पावन  अवसर पर  केंद्र और राज्यों के संबंधों  के साथ महिला  आरक्षण +भ्रष्टाचार +लेह में  सेना का विद्रोह +सेना की  भूमि काण्ड + चाइल्ड अब्यूस के साथ साथ राजनितिक दलों की संख्या +सांसदों के लिए  क्वालिटी सरीखा कोई माप दंड पर ही  चर्चा हो जाती तो हो जाता सोने पे सुहागा  आज 

शुक्रवार, 11 मई 2012

कार्टून को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हो गया बोले तो संविधान के बजाये कार्टून चल गया


 बाबा भीम राव आंबेडकर एक  दलित नेता थे जिन्होंने विश्व के भारी भरकम संविधानों में से एक भारत के  संविधान का निर्माण  किया था उसी काल में शंकर   पिल्लई ने  संविधान   निर्माता  और उनके तत्कालीन   बॉस पर एक कार्टून  छापा था संविधान पर चर्चा के लिए संसद का गठन और कार्टून को किताबों में दफ़न कर दिया गया मगर आज आश्चर्यजनक रूप से  बहिष्कार से  संविधान पर चर्चा तो जग जाहिर है हाँ  समकालीन  कार्टून को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हो गया  बोले तो संविधान के बजाये कार्टून चल गया
   63 साल पहले बाबा भीम राव आम्बेडकर पर छपे एक कार्टून को लेकर आज  संसद में बवाल हो गया संसद के चालू  सेशन में इस   विषय पर  बहस करने के बजाये संसद का बहिष्कार और स्थगन   किया गया।बाद में मंत्री कपिल   सिबल  ने माफी माँगी और एन।सी।ई.आर।टी। के पदाधिकारिओं ने इस्तीफ़ा भी दे दिया। 60 साल  की वरिष्ठता पाकर भी आज संसद ने जो अपरिपक्वता दिखाई है उस पर   विस्तृत बहस की जरूरत है 
    पुराणी शराब तो रंग लाती है यह सुनते आये है मगर पुराना कार्टून भी कहर धा ढहा सकता है यह आज देखने को मिला।
   63 वर्ष पूर्व तत्कालीन कार्टूनिस्ट  शंकर ने एक कार्टून के माध्यम से संविधान के निर्माण में हो रहे विलंभ पर एक पत्रिका में व्यंग  छापा था । छह [6]  साल पहले एन.सी।ई.आर.टी। की 11 कक्षा की पोलिटिकल  साईंस की किताब में  एक लेख  जोड़ा गया ।यह लेख    संविधान  निर्माण  में  हो रही देरी  के इतिहास से सम्बंधित है और इस लेख  को  रोचक   बनाने के लिए कार्टून भी जोड़ा गया है ।इस कार्टून में देश के पहले प्रधान मंत्री  के हाथ में हंटर है और उनके आगे बाबा संविधान का निर्माण में व्यस्त हैं ।
   आज   पायलटों  की हड़ताल +   डिफेंस  लैंड की बिक्री [नवीनतम  काश्मीर]+लेह में सेना में असंतोष और अनुसाशन हीनता आदि अनेक   राष्ट्र को कलंकित करने वाले तत्कालीन मुद्दों पर चर्चा करने के बजाये    सांसदों ने आज इस 63 साल पुराने विषय को लेकर दोनों सदनों में हंगामा कर  दिया लगभग सभी दलों के सांसदों ने इस  कार्टून को बाबा साहब का अपमान बताया और  मानव  संसाधन मंत्री कपिल  सिबल का इस्तीफा  की मांग पर अड़ गए।इनमे कांग्रेस के सांसद पुनिया पी एल  की भूमिका ज्यादा सक्रिय रही शायद इसलिए यह प्रकरण संदेह के घेरे में  भी रहा ।इसके अलावा भी कई  प्रश्न हैं जिनका जवाब जरूरी है \ 
 [1] आश्चर्यजनक रूप से इस पर संसद  का बहिष्कार  करने वाले टी वी चेनलों पर तर्क  कुतर्क   देते रहे।एक तर्क यह था की इससे बच्चों पर बुरा  प्रभाव पडेगा अब में यह  जानना चाहता हूँ की 11 वी कक्षा में 16-17 साल का छात्र आता है  वह भारतीय  राजनीति समझना चाहता है \एक दो  साल के बाद उसे राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभानी है ऐसे में उसे अपने इतिहास की जानकारी  का होना बेहद जरूरी है  ।केवल  बच्चा कह कर उसे अँधेरे में रखना कहाँ की  अक्लमंदी है।
[2]  63 साल पुराना कार्टून 6 साल पहले छापा गया आज उसे मुद्दा बनाने का क्या ओचित्य है ।क्या दबाब में आये गृह  मंत्री  को  फौरी राहत देने के उद्देश्य से यह बखेड़ा खडा किया गया क्योंकि शुरुआत कांग्रेसी पुनिया ने की और अपने ही एक वरिष्ठ मंत्री के इस्तीफे की मांग की लगता है की  निगाहें  कहीं और  निशाना कोई और ही था 
[3]उत्तर प्रदेश में हुए हाल ही के चुनावों में कांग्रेस की हार की भविष्यवाणी करने वाले एक्सिट या पोस्ट पोल विशेषग्य  योगेन्द्र यादव और उनके साथी इस   किताब  की रचना से जुड़े हुए  थे इन दोनों ने एन सी ई आर टी सी से  इस्तीफा  दे दिया है क्या वह भी निशाने पर थे ।गौर तलब है की योगेन्द्र यादव से अपना उत्तर प्रदेश में हार का स्कोर सेटल करने को यह   विवाद खडा किया गया बोले तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की अपनी मानसिकता को बल  दिया गया \
[4]  गृह मंत्री पी चिदम्बरम को भ्रष्टाचार के आरोपों के  दबाब से बचाने और एक्सिट+पोस्ट पोल   विशेषग्य से बदला लेने को कपिल   सिबल को निशाना बनाया गया 
[5]लेह में  फायरिंग प्रेक्टिस  के दौरान सेना की अनुशासन हीनता की घटना और काश्मीर में सेना की भूमि को बेचे जाने के मुद्दे क्यूं  नहीं उठाये गए 

बुधवार, 9 मई 2012

हिलेरी रोढम क्लिंटन भारत  में आई लेकर  आस |
 भारत में तेली  ईरान के विरुद्ध भड़का सकेगी आग ||
अमेरिका में राष्ट्रपति के   फिर से  होने है  चुनाव |
 डेमोक्रेटिक  ओबामा की पताका हिलेरी के ही  हाथ ||
आसान  नहीं भारत को  तेली ईरान के विरुद्ध  ले जाना |
जनता हमारी वहां  हे बसती पैसा  बहुत  लगा है पुराना  ||
तेल हे जीवन   इसपर टिका   हमारा ऊर्जा  साम्राज्य  है|
श्रीलंका के  बाद अब  ईरानी पंगा अर्थार्त  अफगान के \\
फटे में भी  अब ख्वाह मखाह अपनी टांग फ़साना है\
 हिलेरी के आगमन से ममता ने लिए खुशफहमी के हिलौरें \\
ममता पहली बार बनी है अपने प्रदेश की मुख्यमंत्री ।
लेकिन आगंतुक  42 वें  राष्ट्रपति की 67 वी सेक्रेटरी आफ स्टेट हैं\।
हिलेरी  है   पूर्व प्रथम महिला अपने  शक्तिशाली देश की।
 यानि पहली पूर्व प्रथम महिला अब  सेक्रेटरी आफ स्टेट है ।\   
टीचर है स्विमिंग  बेस बाल  खिलाड़ी  और हैं पोस्ट ग्रेजुएट ।
लेकिन क्या करें हमारी भी  कुछ  सियासी  मज़बूरियाँ   हैं \\
आपको अगर वहां2012 में  इलेक्शन जीतना है तो
यहाँ हमको भी 2014 में वोट बैंक की दरकार है 

मंगलवार, 8 मई 2012

तकनीकी शिक्षण संस्थानों में केम्पस प्लेसमेंटको क्वालिटी या सफलता का पैमाना तय किया जाना बेहद जरूरी है

 उत्तर   प्रदेश में तकनीकी  शिक्षा में क्वालिटी लाने और खाली सीटों की समस्या को सुलझाने के लिए अब  नए  तकनीकी  शिक्षण संस्थान   ना खोलने और पुराने कालेजों में सीटें न बढाने का निर्णय ले लिया गया है अब पुराने कालेजों में  तीन साल तक नई सीटें नहीं  बडाई जायेंगी 
   गौतम  बुद्ध प्राविधिक  विश्वविद्यालय ने इस बाबत शासन और अखिल भारतीय तकनीकी  शिक्षा परिषद को अप्रोच करने का निर्णय भी ले लिया है ।
    गौर तलब है की वर्तमान में  दो तकनीकी विश्वविद्यालयों  के साथ लगभग 700 निजी कालेज हैं इन कालेजों में  1.5 लाख से ऊपर सीटें हैं ।लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार इनमे से लगभग  आधी सीटें  खाली रह जाती हैं 
   इस  निर्णय के पीछे का सियासी मकसद कुछ   भी रहा हो मगर एक बात तो तय है की   अधिकाँश   निजी  कालेजों से  अनेक अनियमितताओं  की शिकायतें आती रहती है और अखबारों की सुर्खियाँ भी बनती रहती है 
[1]शिक्षा की गुणवत्ता  [2] पूअर  केम्पस प्लेसमेंट[3] फीस [4]मेस [5]ट्रांसपोर्ट [6]फेकल्टी का अभाव आदि अनेक    कारण है  लेकिन इनमे   मुख्यत  शिक्षा की  पूअर क्वालिटी और  इसके  कारण प्लेसमेंट में गिरावट है 
   आज कल कई कालेजों में प्लेसमेंट के लिए इन्टरवियू  कराने के लिए भी अलग से फीस ली जाने लगी है यह आम फीस स्ट्रक्चर से अलग होती है ।
   सब  मिला कर यही कहा जा सकता है की  पूअर क्वालिटी की महंगी शिक्षा लेने के  बावजूद बेरोजगार रहने से प्रदेश में  असंतोष व्याप्त होना  स्वाभाविक ही है ।शायद इसीलिए तकनिकी शिक्षा की इन महंगी और बेरोजगार बनाने वाली चमकती दुकानों पर अंकुश लगाया जाना ही चाहिए ।  इस  दिशा  में यह देर से लिया गया उचित  निर्णय है 
     यहाँ इस  निर्णय के एक  विशेष  नियमावली पर  टिप्पणी करना  चाहूँगा \
कालेजों के अनुरोध पर तीन वर्षों के बाद सीटें  बडाई  जायेंगी मगर उसके लिए कालेज का रिसल्ट को आधार बनाया जाएगा । मुख्यमंत्री का बस इसी पेंच पर ध्यान चाहूँगा 
   कालेज के रिसल्ट के साथ साथ कालेज में केम्पस प्लेसमेंट और केम्पस के  बाद प्लेसमेंट के लिए सुविधा प्रोवाइड करने के लिए अतिरिक्त फीस को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए क्योंकि बेरोजगारी की  विशालकाय समस्या के मध्य् नज़र  शिक्षण   विशेषकर  तकनीकी शिक्षण संस्थानों  में क्वालिटी या सफलता का पैमाना तय  किया  जाना बेहद जरूरी है को 

रविवार, 6 मई 2012

में हंसना चाहता हूँ प्लीज मुझे हसने दो



   आज विश्व हास्य दिवस है |बताया जा रहा है की लाख दुखों के निवारण के लिए हंसी एक मात्र निशुल्क दवा है |केंसर+दिल+पेन्क्रियास+धमनिओं के लिए उपयोगी होने के साथ ही यह दीर्घायु होने का भी वरदान है|सो सभी को उन्मुक्त अट्टाहास लगाने चाहिए|आज सुबह से ही में यह प्रयास कर रहा हूँ मगर हंसी हे की आज आने का नाम ही नहीं ले रही है|अब ऐसा भी नहीं है की रिटायरमेंट के बाद मेरे ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पडा हो या फिर में हंसना ही नहीं चाहता हूँ | मेने अपनी सारी उमर हँसते हसाते काट दी है अब ६० के बाद हंसाने हसाने के अलावा और कोई काम बचा ही नहीं है सो में हसना चाहता हूँ मगर आज सुबह से ही कुछ ना कुछ ऐसा हो रहा है की हंसी है की आने का नाम ही नहीं ले रही है
सुबह अखबार उठाया तो पहले पेज पर ही राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र की स्थापना को ठन्डे बसते में ज़ाने की खबर प्रमुखता से छापी गई |इस विषय को लेकर केंद्र और राज्यों में आपसी अविश्वास से तकरार +टकराव के समाचार ही भरे हैं|आई बी की चेतावनी है की आतंकवादी हमला हो सकता है नक्सालवाद चरम पर पहुँच रहा है|मगर राज्य और केंद्र आपसी सुपरमेसी को लेकर ही उलझे हुए हैं|
इस पर भी बस नहीं हुई ११ बजे टी वी पर फिल्म अभिनेता आमिर खान का रियल्टी शो सत्यमेवा जयते देखा उसने तो हँसाने की सारी सम्भावनाओं को पलीता ही लगा दिया |आमिर खान ने इतनी खूबसूरती से कन्या भ्रूण हत्या की भयावह राष्ट्रीय तस्वीर प्रस्तुत की जिसे देख कर स्टूडियो में दर्शक के साथ साथ टी वी के दर्शक भी आंसू नहीं रोक पाए |
राजस्थान में खुले आम कन्या भ्रूण ह्त्या के आरोपिओं को राजनितिक सरंक्षण प्रदान किये जाने की जानकारी खौजी पत्रकारों ने जब दी तो आमिर खान ने स्वयम इस इशू को राजस्थान सरकार तक पहुचाने का दायित्व स्वीकार कर लिया |मेने भी आनन् फानन में अपनी सपोर्ट भेज दी |लेकिन समस्या यहीं समाप्त नहीं हुई राजस्थान स्वयम राजनितिक [अब की बार बीजेपी]उठापटक का शिकार बना हुआ है इसीलिए यह सोचने पर मजबूर हूँ की क्या आमिर खान की यह एतिहासिक पहल रंग ला पायेगी\वैसे मेरी दिल से कामना है की आमिर खान की सामाजिक लढाई को विजय मिले और हमें उन्मुक्त अट्टहास लगाने का अवसर