रविवार, 13 मई 2012

भारतीय संसद के 60 साल पूरे करने पर सबको लख लख वधाइयां

बधाई  भारतीय  संसद के 60 साल पूरे करने पर सबको  लख लख  वधाइयां  
बाबा साहब डाक्टर भीम राव आंबेडकर ने दुनिया के श्रेष्ठ संविधानों में से एक भारतीय संविधान लिखा और अच्छा लिखा इसीके बल पर हमारा लोकतंत्र ६० साल पूरे कर चुका है| सो सबको बधाई ।अब मोहन दास  तो रहे नहीं हाँ  मनमोहन  सिंह  का राज है  इन्होने अपनी मन मोहनी बोली में लोक तंत्र को मजबूती प्रदान  करने के लिए आत्म   निरीक्षण पर  जोर दे दिया है ।अपने इस वक्तव्य में जवाहर लाल नेहरू के उस  विश्वाश को भी बल   दिया जिसके अनुसार उन्होंने अपनी बुधिमत्ता  को  सभी समस्यायों की कुंजी बताया था  ।
   कहा जाता है की लोक तंत्र की मजबूती के लिए आत्म   निरीक्षण और अपनी आलोचना हमेशा सहायता देती है मार्ग दर्शक रहती है।हमारे लोकतंत्र में भी अक्सर  लोक के स्थान पर तंत्र के महत्त्व   दिए जाने की आलोचना की जाती रही है और यही हमारी चिंता का विषय है 
    
 २६-११-१९४९ को  इसी संविधान निर्माता ने यह  टिप्पणी  भी की थी की संविधान अगर बहुत अच्छा हो और वह  बुरे हाथों में चला जाए तो अच्छा संविधान भी बुरा बन जाता है  जबकि बुरे  संविधान को अच्छे लोग अच्छा बना लेते हैं|इस  टिप्पणी का भावार्थ जो में समझा हूँ उसके अनुसार संविधान निर्माताओं ने भी अच्छे संविधान पालकों की अपेक्षा की थी 
    १४४ स्थम्भों वाली संसद आज अपनी  ६० साल की आज़ादी  का जश्न मना रही है | सिक्के +टिकट  जारी होंगे+वरिष्ठ सदस्यों को सम्मानित  किया जाएगा।+60 साल  के संसदीय  यात्रा   की किताबों का भी लोकार्पण होगा यह देख कर वाकई      अच्छा  लगता है की  हमारी संसद आज भी  जीवंत है 
  यहाँ पर एक और   महान नेता डाक्टर सर्वपल्ली  राधा कृष्णन  को कोट करना चाहूंगा उन्होंने 14-08-1947 को कहा था की  शक्तिओं के दुरूपयोग  से प्रतिभाओं का तिरस्कार   किया  जाएगा तो हम  पुराने बुरे दिनों के इतिहास को ही दोहराएंगे । अब हम अपनी गलतिओं के लिए  विदेशी  ताकत को दोष नहीं दे सकते इसीलिए उन्होंने शक्तिओं के सदुपयोग का उपदेश देकर प्रतिभाओं को उचित सम्मान  दिए जाने पर बल  दिया था ।
  अब ज़रा  संसद के 60 साल में से कुछ सालों  पर नज़र हो जाए
         5 और 10 रुपयों के सिक्के जारी होंगे । सिक्के बाज़ार  में से गायब  है  सो इसकी  वेल्यू किसी से छुपी नहीं है यह  गिरावट आज ही नहीं हो गई 1963 में समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने बताया था की उस समय देश की 70% आबादी केवल 20% आमदनी पर ही जीवित थी । उस समय के महज़  तीन आने [एक रुपये का 5  वां हिस्सा]पर ही पेट भरने वाला आज भी अपनी  तरक्की को तरस रहा है \अर्थार्त इतनी ही %  आज भी गरीबी की रेखा से नीचे है ।डाक  टिकट बेचने वाले पोस्ट आफिस अपने अस्तित्व को  जूझ रहा है \
   वरिष्ठ सदस्य  रिशांग कीशिंग  समेत चार वरिष्ठ सदस्यों को सम्मानित  किया   जा रहा है अब इन वरिष्ठ  कीशिंग [कांग्रेसी]का कहना है की उन्होंने संसद के काम को बेरोकटोक  चलाने के लिए अपनी वकालत की पढाई को आड़े नहीं आने दिया और  शत  प्रतिशत उपस्थिति दर्ज़ कराई मगर आम  दिनों की तो छोड़ो इस   समारोह में भी अधिकाँश समय ज्यादातर सीटें खाली ही रही । 
  एक  और सदस्य   के अनुसार पहले सांसद सायकिल या  रिक्शे पर भी आते थे एक सांसद   आज भी किराए के मकान में रह रहे हैं मगर आज के दौर के  आदरणीय सांसद  पहले दिन से ही महंगी महंगी  गाडिओं में आते है और महज़ पांच साल में अधिकाँश की सम्पत्ति में कई गुना  वृधि हो  जाती है 
  वैसे एक बात है की लगभग सभी  राजनितिक  दलों ने मतभेद     भुला कर संसद  की  सर्वोच्चता को स्वीकार  किया।मगर अपने अपने पार्टी हितों का उल्लेख करने से चुके भी नहीं लगता है की सारी बातें सही है मगर अहम्   का पतनाला वहीं गिरेगा  
    इस   पावन  अवसर पर  केंद्र और राज्यों के संबंधों  के साथ महिला  आरक्षण +भ्रष्टाचार +लेह में  सेना का विद्रोह +सेना की  भूमि काण्ड + चाइल्ड अब्यूस के साथ साथ राजनितिक दलों की संख्या +सांसदों के लिए  क्वालिटी सरीखा कोई माप दंड पर ही  चर्चा हो जाती तो हो जाता सोने पे सुहागा  आज 

1 टिप्पणी:

  1. Surprisingly Nehru+Gandhi Brand Has Not Been En cashed.But Lohia Vadi Kept Their Pot On Hot Burner.
    No Body Is Seen Willingly Providing Heat For The Problems Of Air India+Defence Land scam + Army Unrest+Corruption+ Extremism+Border Problems+ States And Centre,s Relations+Quality Of Parliamentarians+Price Rise+FDI+ Political Tolerance.

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