अच्छा खासा बजट सत्र बीत गया सत्ता की तीसरी वर्षगाँठ भी हंसी खुशी मना ली लगता है इसी दंभ में अपने वजूद को टटोलने के लिए यूं पी ऐ की सरकार ने सड़क पर पड़ी हुई पेट्रोल से तरबदर कुल्हाड़ी पर ही अपना पावँ दे मारा है जाहिर है कि जख्म और उसका दर्द कुछ दिन तो सताएगा ही |कुल्हाड़ी भी छिटक कर जनता में जा पडी है जिससे सभी को साड़े सात रुपये का घाव आया है |सभी तरफ हो हल्ला हो रहा है विपक्षी पार्टिओं के अलावा सत्ता के घटक और बाहरी समर्थक सभी वोही कुल्हाड़ी लेकर सरकार के पीछे पड़ गए हैं |पुतले फूके जा रहे हैं+प्रदर्शन हो रहे हैं +ब्यान बाज़ी जारी है+छुटभैय्ये भी सीने को चौड़ा करने में लगे हैं |
सरकार अपने मूर्खता पूर्ण कदम के लिए पेट्रोलियम कम्पनिओं को दोषी बताने लगी है कम्पनिओं ने भी सरकार के जख्मों पर मलहम लगते हुए रोजाना ५० करोड़ रुपयों के घाटे का रोना शुरू कर दिया है |
सरकारी दावं है कि रुपये के अवमूलयन से डॉलर महँगा हुआ है इसीलिए कच्चे तेल का आयात महँगा हो रहा है | यह दावा मृगत्रिशना मृग त्तृष्णा ही लग रहा है।पहले बच्चो को बहलाने को कहा जाता था की अरे तेरा कान कौवा ले गया और बच्चा कौवा ही ढूढता रहता था।अब मीडिया के सशक्तिकरण से सत्य पेट्रोल की आग से भी तेज फैलता है इसीलिए आजकल कौवे के 'पीछे भागने के बजाये बहकाने वाली सरकार को ही घेरने की तैय्यारी है। दबाब बनाया जा रहा है ।
बहलाने से जब काम नहीं चला तो अब सहलाने की तैय्यारी है और सरकार अपने जख्म के दर्द को भूल कर जनता को सहलाने लग गई है ।सुना गया है की यूं पी ऐ ने अपनी पार्टी की प्रदेशों में चल रही सरकारों को टैक्स कम करने को फरमान जारी कर दिया है। केरल+उत्तराखंड ने पहल कर भी दी है इसके अलावा एक और छोटे गोवा में भी वैट कम किया जा चूका है । ये सभी छोटे राज्य हैं सो ऊण्टः के मूह में जीरा साबित होंगे।
पेट्रोलियम मंत्री श्री रेड्डी को विदेश यात्रा से वापस बुला लिया गया है और आगामी माह में कुछ राहत देने को मांड वलि चल रही है ।
सरकार की नीतिओं की तो पहले से ही आलोचना की जा रहीं हैं मगर अब नियत पर भी सवाल उठने लग गए हैं ।[1] रुपये के अवमूलयन को भारतीय रिसर्व बैंक [आर बीआई] की उदासीनता [2]एक मुश्त साड़े सात रुपयों की वृधि [3] थोड़ी राहत का लाली पोप एक मंत्री महोदय ने तो नमक को ही मलहम मान लिया और कह बैठे है की आम आदमी की जरूरत तो केवल रोटी+कपड़ा+मकान ही है पेट्रोल से आम आदमी को कया लेना देना
इन सब उपायों से राजेश खन्ना की फिल्म की याद आ गई ।इस फिल्म का नायक खलनायकों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए पहले कीमतें आसमान पर पहुंचा देता है फिर जनता की फेवर लेने के लिए बड़ी हुई कीमतों को आधा कम कर देता है ।दोनों पक्ष खुश और नायक की जेब हो जाती है गरम
लाख टके का सवाल उठता है की इस पेट्रो के खेल के पीछे का खलनायक कौन है???आप भी अपने आस पास देखिये और में भी आँखों में दाल लेता हूँ भीम सेनी सुरमा [जमोस सबलोक]
इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए धन्यवाद्
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