शुक्रवार, 16 मार्च 2012

बजटोत्सव पर केंद्र सरकार के खर्चों पर कटौती की मांग करना किसी भी द्रष्टि से नाजायज नहीं कही जानी चाहिए।



प्रणव मुखर्जी जैसे वरिष्ठ +खांटी+मंझे हुए+छंटे हुए वितमंत्री के बजट से जैसी उम्मीद थी बिलकुल वैसा ही बजट१७=०३= २०१२  प्राप्त हो गया है।चाशनी में लिपटी कुनैन की गोली देने में माहिर वितमंत्री ने  आयकर +माचिस और नमक  पर दरियादिली दिखाई है।आय कर  में २०००/=की छूट को पकाने के लिए माचिस का उपयोग करते समय अगर  दिल जलने लगे तो नमक मला जा सकता है।
    इस बजट में एक हाथ से  ४.५ करोड़ की छूट आयकर में दी गई है मगर दूसरे हाथ से  ४५९४० करोड़ के टैक्स  भी थोपे गए हैं।इस झटके का पहला प्रभाव शेयर मार्केट पर पडा है बेचारा  धड़ाम हो गया।में अपने को भी एक आम आदमी समझता हूँ सो कमोबेश मेरे स्थिति   भी कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है\  हमारे सोणे ते मन मोहणे प्रधान मंत्री ने इस बजट का बचाव करते हुए देश के विकास के लिए यह जरूरी कदम बताया है\और दूसरे समर्थक इस बजट के दूरगामी सकारात्मक  नतीजों की बात करने लगे हैं\ वर्तमान की किसी को सुध नहीं यानि ख़ाक हो जायेंगे हम उनको खबर होने तक\
   झल्ले विचारानुसार  दूरगामी परिणामो की दुहाई देते हुए  सरकारी खर्चे में कटौती को  वर्तमान में तवज्जोह नहीं दी गई है। केंद्र सरकार के इस बजटोत्सव पर केंद्र सरकार के खर्चों पर कटौती की मांग करना किसी भी द्रष्टि से नाजायज नहीं कही जानी चाहिए।फॉर एक्साम्पल [नमुनार्थ] रक्षा  सेवाओं  और उनसे जुड़े केंद्र सरकार के विभाग {एम्.ई.एस+रक्षा लेखाआदि }में  एनेक प्रकार की ग्रांट{ट्रेनिंग+कंटीजेंसी+आई.टी+आदि}  पूरे वर्ष  खर्च के लिए दी जाती है मगर अधिकतर  वितीय वर्ष  के अंतिम माहों विशेषकर  मार्च में ही किये जाते है ।ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि मार्च बीतने के बाद ग्रांट लेप्स हो जाती है और आगामी माह में उस राशि को कम भी किया जा सकता है।
     यह व्यवस्था और उसके उपयोग को बनाई गई कार्यप्रणाली  से जनता के पैसे का दुरूपयोग+बजट में अव्यवस्था और देश में भ्रस्ताचार  पनप रहाहै
   मैं ठीक हूँ या क्या मैं ठीक हूँ?????????????????????????????????????????????????
    

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