शुक्रवार, 8 जून 2012

पानी दिखना चाहिए बेशक पानी गंदे नाले का ही क्यूं न हो।


रहीम कह गए हैं की पानी जरूर रखना चाह्हिये ।मनुष्य+मोती और चून के लिए पानी  बेहद जरूरी है ।लेकिन आज कल  ग्वाले +गद्दी को चारे में मिलाने को पानी चाहिए + दुग्ध  व्यवसाई को  मिलाने को पानी  चाहिए+ त्रस्त  जनता  को गर्मी से निजात के लिए बारिश का पानी  और बेचारी भैंस को नहाने को जैसा भी हो पानी  चाहिए।अब बिज़ली बनाने वाले भी कहते हैं की पानी  चाहिए।यानि सबको पानी चाहिए
   आज कल भैंस चराने वालों को छोड़ो जनता को चराने वालों में भी पानी नहीं बचा। पानी में हाऐद्रोज़न और आक्सीजन  जरूरी है मगर पर्यावरण में हैड्रोजन HIDROGEN + सी औ  2इतनी बढ  रही है की आक्सीजन को ही खाए जा रहे है शायद इसीलिए बड़े  लोग 3500000/= के टायलेट्स  में जाकर ठन्डे पानी की  ठंडक का एहसास कर लेते हैं लेकिन  आम जन  और पशु इन्ही नालों के तटों  पर 3500000 बचा लेती है जनता  बेचारी इन्हें कोस कर ठंडी हुई जा रही है  और भैंसें जहां पानी दिखा  वहीं  घुस कर अपने गर्मी दूर  कर लेती हैं।
 पानी तो पानी ही होता है अब तैरना हो  मिलाना हो पिलाना हो या फिर चराना हो जैसा भी हो  पानी  होना ही चाहिए
शायद यही वजह है की शहर मेरठ में पानी के जोहड़+चर +तालाब+झरने कहीं दिखाई नहें देते लेकिन भैंसों को तो पीने के साथ नहाने के लिए और तैरने के लिए पानी  दिखना चाहिए अब पानी गंदे नाले का ही क्यूं न हो।इसीलिए सूरजकुंड के पुल के  नीचे बहते गंदे नाले मेंगर्मी का एहसास कम कर रहे हैं ये भैंसें   [जमोस सबलोक]                         फोटो         सूरजकुंड के नाले  का द्रश्य 

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