गुरुवार, 7 जून 2012

डाडा लाल कृषण आडवानी + पुराने धुरंधर बलराज मधौक की मुलाक़ात

डाडा लाल कृषण आडवानी ने  पुराने धुरंधर बलराज मधौक के घर जा कर मुलाक़ात की और ठहरे पानी में हलचल मचा दी है| लगता है हाशिये पर लाये गए भाजपाई एकजुट होने लग गए हैं|
आडवानी को आज कल नरेन्द्र मोदी और नितिन गडकरी की जोड़ी ने  बुजुर्ग  बना कर अलग थलग करने की सोच रखी है |आये दिन कोई न कोई विवाद सर उठाता रहता है |पहले जिन्नाह पर टिप्पणी के लिए उन्हें आर एस एस ने अपमानित किया और अलग थलग कर दिया अब क्योंकि आर एस एस +भाजपा को आडवानी में कोई 
करिश्मा नज़र नहीं आ रहा इसलिए गुजरात से नरेन्द्र मोदी को आयात करने की यौजना है |तभी तो संजय जोशी की बलि स्वीकाए कर  ली  गई है\
इस नए बदलाव  से आडवानी और उनकी दिल्ली की टीम का असहज होना स्वाभाविक ही है| मोदी के विरुद्ध और संजय जोशी के समर्थन में पोस्टर छपने स्वाभाविक हैं\
बलराज मधौक एक ज़माने में जनसंघ में कदावर नेता थे मगर कश्मीर में एक कालीन के मामले को लेकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया था इनके हटने  अटल बिहारी वाजपई  को मौका मिल गया उन्हें अडवानी  सरीखे जनरल  का साथ मिल गया  बाद जनता पार्टी और
फिर भाजपा बनाई गई\ 
शनेह  शनेह  यह पार्टी प्रमोद महाजन सरीखे नेताओं के चंगुल में आने लग गई ।पार्टी विद डिफरेंस केवल नारा बन कर रह गया यहाँ तक की परम्परागत वोट बैंक को भी अनदेखा किया जाने लगा ।
   बलराज  मधौक ने जनसंघ को नहीं छोड़ा ।इस पर उन्हें सत्ता के नज़दीकी होने के आरोप भी लगाए गए मगर इस सबके बावजूद  बलराज मधौक ने जनसंघ को नहीं छोड़ा है  आज भी मधौक जनसंघ के सर्वोच्च नेता हैं अभी भी जनसंघी विचारधारा वाले हिन्दुओं में उनकी अच्छी खासी पकड़ है |
पंजाबी वोट बैंक विशेषकर देश विभाजन के पश्चात माइग्रेट होकर आये पंजाबिओं को दिशा देने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है|
बेशक आडवानी का यह कहना है की इस वर्ष संसद में इस वरिष्ट नेता से मुलाकात नहीं हुई थी सो उनके[मधौक] के घर मिलने चले आये|लेकिन इस मुलाकात को एक नए समीकरण के उदय के रूप में भी देखा जा सकता है\

    दिग्गजों की इस मुलाक़ात पर बहस के तीतर लड़ाए जाने लाजमी है सो लड़ाए जा रहे हैं\
एक तरफ जहाँ इसे  होने वाले राष्ट्रपति के चुनावों के परिपेक्ष्य में देखा जा सकता है तो दूसरी और भाजपा पर अपनी पकड़ मजबूत रखने को यह लाल क्रशनी पेंतरे बाज़ी हो सकती है । 
    दिल्ली  की आडवानी टीम किसी  भी  सूरत में मुम्बैया राजनीति को आगे नहीं  आने देगी इसके लिए उनके पास केवल  और केवल आडवानी का कार्ड ही है इसीलिए इस कार्ड को जीवित रखा  जाना भी जरूरी है।शायद इसलिए पहले ब्लॉग के माध्यम से पार्टी पर छींटाकशी फिर  एक के हंगल पर टिप्पणी से अपने इरादे स्पष्ट किये जा चुके हैं\

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