आदरणीयों के चुनावों में सब कुछ ठीक है झल्ले दी गलां
एक सामान्य नागरिक
ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है ?हैं छोटे से छोटे चुना में भी सख्त आचार संहिता होती है मगर राष्ट्रपति के चुनावों में कोई आचार संहिता नहीं है जिसके मन जो आ रहा है जैसा आ रहा है कर रहा है ऐसा कैसा चलेगा
झल्ला
ओ भोले बादशाहों आपने सुना नहीं है कि समरथ को नहीं दोष गुसाईं तभी तो माननीयों को 28 राज्यों+2 युनियन टेरिटोरी + संसद में से कहीं भी वोट डालने का अधिकार मिल गया है ।जहां चाहे जैसे चाहे प्रचार कर सकते हैं ।सरकारी सुविधाओं के दुरूपयोग होने पर किसी की भी नज़र नहीं रहेगी दल बदल पार्टी बदल+संघ बदल पर कोई रोक नहीं होगी यानि आदरणीयों के चुनावों में सब कुछ ठीक है
एक सामान्य नागरिक
ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है ?हैं छोटे से छोटे चुना में भी सख्त आचार संहिता होती है मगर राष्ट्रपति के चुनावों में कोई आचार संहिता नहीं है जिसके मन जो आ रहा है जैसा आ रहा है कर रहा है ऐसा कैसा चलेगा
झल्ला
ओ भोले बादशाहों आपने सुना नहीं है कि समरथ को नहीं दोष गुसाईं तभी तो माननीयों को 28 राज्यों+2 युनियन टेरिटोरी + संसद में से कहीं भी वोट डालने का अधिकार मिल गया है ।जहां चाहे जैसे चाहे प्रचार कर सकते हैं ।सरकारी सुविधाओं के दुरूपयोग होने पर किसी की भी नज़र नहीं रहेगी दल बदल पार्टी बदल+संघ बदल पर कोई रोक नहीं होगी यानि आदरणीयों के चुनावों में सब कुछ ठीक है
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